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West Bengal :शांतिनिकेतन में नहीं लगेगा पौष मेला और नहीं मनेगा बसंत उत्सव

शांतिनिकेतन में नहीं लगेगा पौष मेला और नहीं मनेगा बसंत उत्सव रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने 1894 में पहली बार इस मेले का आयोजन किया था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 07:56 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 10:28 AM (IST)
West Bengal :शांतिनिकेतन में नहीं लगेगा पौष मेला और नहीं मनेगा बसंत उत्सव
West Bengal :शांतिनिकेतन में नहीं लगेगा पौष मेला और नहीं मनेगा बसंत उत्सव

कोलकाता, राज्य ब्यूरो।  कविगुरु रवींद्र नाथ टैगोर के सपनों को शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय ने प्रसिद्ध ‘पौष मेला’ रद्द करने का निर्णय लिया है। उसने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के दिशानिर्देशों के अनुपालन को लेकर व्यापारियों के साथ टकराव के बीच शांतनिकेतन में इस शीतकालीन कार्यक्रम के आयोजन में पिछले दो साल के ‘तीखे अनुभव’ का हवाला देते हुए यह कदम उठाया है। विश्वविद्यालय ने अगले साल से जनसाधारण के लिए होली पर ‘बसंत उत्सव’ भी नहीं आयोजित करने का फैसला किया है।

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एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि यह फैसले शुक्रवार को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की आपात बैठक में लिए गए। हस्तशिल्प, हथकरघा, कला, संगीत उत्सव ‘पौष मेला’ बांग्ला मास पौष में आयोजित किया जाता है। रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने 1894 में पहली बार इस मेले का आयोजन किया था और बाद में नोबेल पुरस्कार सम्मानित रवींद्रनाथ टैगार द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय ने 1951 से इसका आयोजन करने लगा।

इस मेले में राज्य और देश-विदेश से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं, जिससे इलाके की नाजुक पारिस्थितिकी पर उसके प्रभाव को लेकर चिंता प्रकट की जाने लगी। अधिकारी और कार्यकारी समिति के सदस्य ने कहा कि इसे नहीं आयोजित करने का फैसला किया गया है, हालांकि यह उत्सव वर्षों से विश्वविद्यालय के कैलेंडर का अभिन्न हिस्सा था।

उन्होंने कहा कि पिछले दिसंबर में दुकानदारों से मेले के समापन के 48 घंटे के अंदर वहां सफाई करने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। बाद में जगह खाली कराने के लिए बलप्रयोग करना पड़ा। 

सौर ऊर्जा परियोजनाओं में 12 हजार करोड़ निवेश करेंगी कोल इंडिया

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) और एनएलसी इंडिया संयुक्त रूप से लगभग 12 हजार करोड़ रुपये के निवेश के साथ तीन हजार मेगावॉट की सौर ऊर्जा परिसंपत्तियां तैयार करेंगी। सूत्रों ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। दोनों सरकारी कंपनियों ने कहा कि वे देश में पांच हजार मेगावॉट की सौर ऊर्जा और तापीय ऊर्जा परियोजनाएं लगाने के लिये एक संयुक्त उपक्रम (जेवी) की स्थापना करेंगे।

उन्होंने कहा कि एक सौर जेवी पहले से ही 10 लाख रुपये की प्रारंभिक पूंजी के साथ गठन की प्रक्रिया में है। एक बार कंपनी के गठन के बाद, संबंधित कंपनी का निदेशक मंडल परियोजना की अंतिम रूपरेखा तय करेगा। अभी हर एक मेगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता के लिए करीब चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिये आयातित सौर पैनलों पर 20 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क लगाने की योजना बनाइ है। सौर ऊर्जा डेवलपर्स काफी हद तक चीन के उपकरणों पर निर्भर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तापीय ऊर्जा परियोजना को एक अलग संयुक्त उद्यम के जरिए विकसित किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि कोल इंडिया ने 4.83 मेगावॉट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं पहले ही स्थापित कर ली हैं और ये संयंत्र लगभग 46 लाख यूनिट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन कर रहे हैं।


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