प्लास्टिक थैलियों में कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार से बढ़ रहा प्रदूषण, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता
समस्या-विद्युतीय भट्टियों का प्रदूषण रोधी उपकरण हो जा रहा है नष्ट। निकल रहा काफी धुंआ। पर्यावरणविदों ने कहा-रोकथाम के लिए शीघ्र ही निकालने होंगे ठोस उपाय। विद्युतीय भट्टियों का रखरखाव नगर निगम के विद्युत विभाग के अंतर्गत कार्यरत ठेकेदारों द्वारा किया जाता है।
इंद्रजीत सिंह, कोलकाता : पिछले दिनों देश की विभिन्न नदियों में कोरोना मरीजों के शवों को बहाने की घटनाएं प्रकाश में आने पर पर्यावरणविदों ने जल प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताई थी। अब प्लास्टिक थैलियों में कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार किए जाने से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। क्योंकि प्लास्टिक थैलियों में शवों को जलाने से विद्युतीय भट्टियों (चुल्ली) का प्रदूषण रोधी उपकरण नष्ट हो जा रहा है, जिससे काफी धुंआ निकल रहा है। कोलकाता नगर निगम क्षेत्र में कोविड शवों के दाह संस्कार के लिए कुल 16 विद्युतीय भट्टियां हैं। पिछले कुछ दिनों में भारी संख्या में प्लास्टिक में लिपटे शवों को अंतिम संस्कार किए जाने से एक के बाद एक कई भट्टियां खराब हो गई हैं। दरअसल प्लास्टिक थैलियों में कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार करने से विद्युतीय भट्टियों का एंटी पॉल्यूशन डिवाइस (एपीडी) यानी प्रदूषण रोधी उपकरण नष्ट हो जा रहा है।
रोकथाम के ठोस उपाय निकालने होंगे
कोलकाता नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यही कारण है कि कोलकाता के कई श्मशान घाटों के एपीडी खराब होने के कारण भट्टियों से काफी धुंआ निकल रहा है, जो पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। पर्यावरणविद सुभाष दत्ता ने कहा कि यह बेहद गंभीर समस्या है तथा इसकी रोकथाम के लिए शीघ्र ही ठोस उपाय निकालने होंगे।
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हो रही बाधित
-वहीं विद्युतीय भट्टियों का रखरखाव नगर निगम के विद्युत विभाग के अंतर्गत कार्यरत ठेकेदारों द्वारा किया जाता है। नगर निगम के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि एपीडी खराब होने से ज्यादातर मामलों में ठेकेदार कोरोना के डर से श्मशान घाट पर नहीं आना चाहते। काफी अनुरोध के बाद वह इसकी मरम्मत के लिए तैयार हो रहे हैं। इससे अंतिम संस्कार की प्रक्रिया बाधित हो रही है।
राज्य सरकार ने की है कपड़ों की थैलियों की व्यवस्था
-हालांकि राज्य सरकार की ओर से कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार कपड़ों की थैलियों में करने की व्यवस्था की गई है, लेकिन हकीकत में इक्का-दुक्का लाशों को छोड़कर बाकी सभी को प्लास्टिक में लपेट कर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। अस्पतालों का आरोप है कि वास्तव में सरकार के पास थैलियों की उपलब्धता नहीं है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हर अस्पताल को शव को लपेटने के लिए सेंट्रल मेडिकल स्टोर से कपड़े की थैलियां लेने को कहा गया है। यहां पर्याप्त थैलियां हैं। लेकिन इसे पाने के लिए सही जगह पर आवेदन करना होगा।