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बंगाल में अस्थाई लेक्चरर को प्रति क्लास 300 रुपये देने संबंधी वैकेंसी पर बवाल, विपक्ष ने ममता सरकार को घेरा

बंगाल के बांकुड़ा विश्वविद्यालय द्वारा अस्थाई लेक्चरर की नियुक्ति के लिए जारी एक विज्ञप्ति पर विवाद खड़ा हो गया है। विज्ञप्ति में भौतिकी में अस्थायी व्याख्याता की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए हैं जिसके लिए योग्यता पोस्ट ग्रेजुएशन होनी चाहिए। File Photo

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Wed, 29 Mar 2023 05:45 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2023 05:45 AM (IST)
बंगाल में अस्थाई लेक्चरर को प्रति क्लास 300 रुपये देने संबंधी वैकेंसी पर बवाल, विपक्ष ने ममता सरकार को घेरा
बंगाल में अस्थाई लेक्चरर को प्रति क्लास 300 रुपये देने संबंधी वैकेंसी पर बवाल।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के बांकुड़ा विश्वविद्यालय द्वारा अस्थाई लेक्चरर की नियुक्ति के लिए जारी एक विज्ञप्ति पर विवाद खड़ा हो गया है। विज्ञप्ति में भौतिकी में अस्थायी व्याख्याता की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए हैं, जिसके लिए योग्यता पोस्ट ग्रेजुएशन होनी चाहिए। साथ ही संबंधित विषय में पीएचडी या नेट पास होना चाहिए।

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खास बात यह है कि अस्थाई लेक्चरर को प्रति क्लास महज 300 रुपये और प्रति माह 4800 रुपये दिये जाने की बात कही गई है। 24 मार्च को प्रकाशित इस विज्ञप्ति के प्रकाश में आते ही विभिन्न हलकों ने इसकी आलोचना हो रही है। विपक्षी छात्र संगठनों ने इसकी आलोचना की है। वहीं, इस विज्ञप्ति पर अब बंगाल भाजपा के अध्यक्ष व सांसद सुकांत मजूमदार ने भी मंगलवार को सवाल उठाते हुए ट्विटर के जरिए ममता सरकार को घेरा।

उन्होंने इसे शिक्षा का अपमान बताते हुए कहा कि एक प्रोफेसर के तौर पर इस तरह के नोटिफिकेशन को पढ़कर मुझे लज्जा आती है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सिविक वोलेंटियर्स की तरह अब राज्य सरकार नागरिक व्याख्याताओं की नियुक्ति कर रही है। वहीं, वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई के बांकुड़ा जिला सचिव अनिर्बान गोस्वामी ने भी राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की यह विज्ञप्ति न केवल शिक्षा का अपमान है, बल्कि इस राज्य के सभी शिक्षित युवाओं का अपमान है।

उन्होंने इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन से माफी की मांग की। इधर, इस विज्ञप्ति की इंटरनेट मीडिया में भी काफी आलोचना की जा रही है। इसमें एक यूजर ने लिखा- जहां एक मजदूर का वेतन 500-600 रुपये प्रतिदिन है, सिविक वोलेंटियर्स का मासिक वेतन 9000 रुपये है, वहां फिजिक्स या नेट पास जैसे विषय में पीएचडी डिग्री वाला लेक्चरर इतने कम वेतन में कैसे काम कर सकता है। विभिन्न हलकों में इसपर सवाल किया जा रहा है।

दूसरी ओर, इस मामले पर विश्वविद्यालय ने चुप्पी साध ली है। बता दें कि इससे पहले कुछ दिन पहले ही बांकुड़ा पुलिस के अंकुर नाम के प्रोजेक्ट को लेकर विवाद पैदा हुआ था, जिसमें सिविक पुलिस वोलेंटियर्स द्वारा प्राथमिक विद्यालय के छात्रों की कक्षाएं लेने की बात कही गई थी, हालांकि विवाद के बाद इसे वापस ले लिया गया था।


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