Coronavirus: बंगाल में कोरोना पर विवाद, तृणमूल ने कहा-आंकड़े नहीं छिपा रही सरकार
Coronavirus राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा के मुताबिक शनिवार तक कुल 4630 नमूनों की जांच की गई और पश्चिम बंगाल में अब हर दिन 400 जांच की जा रही हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Coronavirus: कोरोना जांच व संक्रमितों तथा मौत के आंकड़ों को लेकर बंगाल में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कई चिकित्सीय समुदाय और विपक्षी पार्टी दावा कर रही हैं कि राज्य बहुत कम मामलों की जानकारी दे रहा है, क्योंकि संक्रमण के लिए बहुत कम आबादी की जांच की जा रही है। शनिवार तक राज्य में कोरोना के कुल 233 मामले सामने आए हैं और 12 लोगों की मौत हुई है जो महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से बहुत कम है। राज्य में जो मौत हुई हैं, वे कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते हुई हैं या पहले से जारी किसी गंभीर बीमारी के कारण हुई हैं, यह जांचने के लिए उनका इलाज करने वाले चिकित्सकों की बजाए विशेषज्ञ ऑडिट समिति का गठन करना राज्य सरकार के डेटा की विश्वसनीयता के बारे में संदेह पैदा करता है। हालांकि, तृणमूल ने तथ्य छुपाने के आरोप को खारिज करते हुए कोरोना पर राजनीति को शर्मनाक बताया है।
कोलकाता में कोरोना जांच के लिए आइसीएमआर के प्रमुख केंद्र, राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (एनआइसीईडी) ने हाल में कहा था कि राज्य सरकार जांच के लिए पर्याप्त नमूने नहीं भेज रही है। संस्थान की निदेशक डॉ शांता दत्ता ने हाल में कहा था कि यह बड़ी खामी है। पिछले हफ्ते हमें हर दिन 20 नमूने भी प्राप्त नहीं हो रहे थे। कितने सैंपल भेजे जाएंगे इसका फैसला राज्य सरकार करती है, इसलिए अगर वे और नमूने भेजेंगे तो हम ज्यादा जांच कर पाएंगे। मेरे विचार में नमूनों को अनुशंसा के अनुरूप एकत्र नहीं किया जा रहा। इसलिए बंगाल में हो रही जांच भी कम है। जांच किट के अभाव को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शिकायत पर उन्होंने कहा कि आइसीएमआर ने अब तक एनआइसीईडी को 42,500 किट भेजी हैं और कोई कमी नहीं है।
बंगाल में हो चुकी है 46 सौ से अधिक जांच
राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा के मुताबिक शनिवार तक कुल 4,630 नमूनों की जांच की गई और पश्चिम बंगाल में अब हर दिन 400 जांच की जा रही हैं। वहीं 11 अप्रैल तक, सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में 31,841 नमूनों, राजस्थान में 24,817, केरल में 14,163 और दिल्ली में 11,709 नमूनों की जांच की गई है। पश्चिम बंगाल सरकार ने शनिवार को कहा था कि राज्य में संक्रमण के कुल 233(स्वस्थ्य हो कर लौटे व मृतकों समेत) मामले हैं, जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट संक्रमितों की संख्या 287 बताती है।
कोरोना वायरस मरीज की मौत का कारण घोषित करने के लिए समिति के गठन पर आपत्ति जताते हुए केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों को ही मौत का कारण प्रमाणित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आखिरकार, हर किसी की हार्ट अटैक या फिर मल्टी ऑर्गन फेल्योर से ही मौत होती है। परंतु, कोरोना मामलों को छिपाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है?
कोलकाता के कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि गुप्त रखने का यह दृष्टिकोण चीजों को बिगड़ रहा है और बीमारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आक्रामक परीक्षण में बाधा डाल रहा है। आकस्मिक प्रसार का अनुमान लगाने के लिए परीक्षणों की संख्या तुरंत बढ़ाई जानी चाहिए। जैसा कि अधिकांश रोगियों या संदिग्धों को स्पर्शोन्मुख है, हमें अधिक नमूना परीक्षण करने की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने कहा कि राज्य की अपनी सीमाएं हैं, क्योंकि यह किसी भी प्रयोगशाला में परीक्षण शुरू नहीं कर सकता है, क्योंकि केवल आइसीएमआर द्वारा अधिकृत सुविधाएं से ही कोरोना परीक्षण संचालित कर सकते हैं।
विपक्ष के वार पर तृणमूल का करारा जवाब
विपक्षी दलों ने ममता सरकार पर कोरोना मामलों के तथ्यों को छिपाने के लिए पर्याप्त जांच नहीं करने का आरोप लगाया है। भाजपा सांसद व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि बड़े राज्यों के आंकड़ों से तुलना करें तो आप पाएंगे कि यहां आयोजित परीक्षणों की संख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। केंद्र द्वारा बहुतायत में परीक्षण किट प्रदान करने के बावजूद कम परीक्षण कर रहे हैं। घोष ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना से मौत हुई या नहीं इसके लिए ऑडिट कमेटी गठित कर मौत के आंकड़ों का मजाक बना दिया है।
लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि कोरोना और गैर-कोरोना मौतों का वर्गीकृत करना तथ्यों को छिपाने का एक तंत्र है। उन्होंने ऑडिट पैनल को सत्य को दबाने वाला तंत्र करार दिया।
राज्यसभा में तृणमूल के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने दावा किया कि बंगाल की संख्या अधिकांश राज्यों से बेहतर है, क्योंकि यहां की सरकार ने रोग को रोकने के लिए कड़ी मेहनत की है। हम बंगाल में काम पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जिसने सुनिश्चित किया है कि बंगाल में कोरना का प्रसार रूका है। डेरेक ने कहा कि यह स्वास्थ्य के लिए आपात काल है इसमें राजनीति करना शर्मनाक है।