बंगाल में शुरू हुई दबाव की सियासत, तृणमूल-भाजपा एक-दूसरे के प्रमुख नेताओं को घेरने में जुटे
भाजपा कोयला कांड में अभिषेक से हो रही सीबीआइ पूछताछ को लेकर दबाव बनाने में जुटी हुई है। उधर तृणमूल ने सारधा घोटाले के आरोपित सुदीप्त सेन के पत्र के आधार पर सुवेंदु पर दबाव डालने की रणनीति बनाई है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा (BJP) के बीच एक-दूसरे के प्रमुख नेताओं पर दबाव बनाने की सियासत शुरू हो गई है। एक तरफ भाजपा कोयला कांड में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी (Abhishekh Banerji) व मवेशी तस्करी कांड में तृणमूल के बाहुबली नेता अनुब्रत मंडल (Anubrat Mandol) से हो रही सीबीआइ पूछताछ को लेकर दबाव बनाने में जुटी हुई है, वहीं दूसरी तरफ तृणमूल ने सारधा चिटफंड घोटाले (Sardha Chit fund Scam) के मुख्य आरोपित सुदीप्त सेन (Sudeept Sen) के पत्र के आधार पर भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) पर दबाव डालने की रणनीति बनाई है। इसके साथ ही पैगंबर मुहम्मद (Prophet Mohammad) को लेकर की गई टिप्पणी के कारण निलंबित भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा (Nupur sharma) को समन जारी कर कोलकाता के पुलिस थानों में हाजिर होने को भी कहा जा रहा है। नुपुर को दो-दो बार समन भेजा जा चुका है। उन्होंने अपनी जान को खतरा बताकर हाजिर होने के लिए चार हफ्ते का समय मांगा है।
सुदीप्त सेन के पत्र पर भी सियासत
सियासी विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा में शामिल होने के बाद से ही सुवेंदु तृणमूल के खिलाफ लगातार मुखर रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि बंगाल भाजपा की आवाज अभी सुवेंदु ही हैं इसलिए तृणमूल अब उसी आवाज को दबाने की जुगत में है। सुदीप्त सेन के आरोप से सत्ताधारी दल को एक अच्छा मौका मिल गया है। गौरतलब है कि सुदीप्त सेन ने जेल से कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा है कि सारधा चिटफंड घोटाले में सुवेंदु अधिकारी भी शामिल हैं। उन्होंने भी इसका फायदा उठाया है। तृणमूल इसे लेकर सुवेंदु के खिलाफ सोमवार को राज्य की सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन करेगी। सुवेंदु की सीबीआइ के हाथों गिरफ्तारी की मांग की जाएगी। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के नेतृत्व में तृणमूल का एक प्रतिनिधिदल उसी दिन राजभवन जाकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को इस बाबत ज्ञापन भी सौंपेगा। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि सुदीप्त सेन इससे पहले सत्ताधारी दल के कई नेताओं के खिलाफ भी इसी तरह पत्र लिख चुके हैं। सवाल यह है कि जब उनके पिछले पत्रों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो इसे कितनी गंभीरता से लिया जाएगा।