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West Bengal Election: ममता-मोदी के बैनर-होर्डिंग्स के जरिए तृणमूल और भाजपा में छिड़ी सियासी जंग।

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के सात वर्षों में यह पहला मौका है जब कुंभ के बाद देश के इस दूसरे सबसे बड़े धार्मिक मेले में उनके बैनर-होर्डिंग्स दिख रहे हैं। ममता-मोदी के बैनर-होर्डिंग्स के जरिए तृणमूल और भाजपा में सियासी जंग शुरू।

By Pooja SinghEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 04:44 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 04:44 PM (IST)
West Bengal Election: ममता-मोदी के बैनर-होर्डिंग्स के जरिए तृणमूल और भाजपा में छिड़ी सियासी जंग।
ममता-मोदी के बैनर-होर्डिंग्स के जरिए तृणमूल और भाजपा में छिड़ी सियासी जंग।

विशाल श्रेष्ठ, गंगासागर। पिछले एक दशक से हर साल बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बैनर-होर्डिंग्स से पटे रहने वाले गंगासागर मेले में इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जबरदस्त एंट्री हुई है। समूचे सागरद्वीप में ममता के साथ-साथ मोदी के बैनर-होर्डिंग्स भी खूब नजर आ रहे हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के सात वर्षों में यह पहला मौका है, जब कुंभ के बाद देश के इस दूसरे सबसे बड़े धार्मिक मेले में उनके बैनर-होर्डिंग्स दिख रहे हैं। हिंदी व बांग्ला भाषा वाले इन बैनर-होर्डिंग्स में पीएम मोदी सफेद कुर्ते में हाथ जोड़कर गंगासागर आने वाले तीर्थयात्रियों का स्वागत कर रहे हैं।

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बंगाल विधानसभा चुनाव नजदीक है। गंगासागर मेला सूबे में उससे पहले हो रहा आखिरी बड़ा आयोजन है, जहां मकर संक्रांति पर लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ती है। देशभर से ही नहीं, बंगाल के कोने-कोने से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पुण्य स्नान करने आते हैं। ऐसे में बंगाल की सत्ता पर लगातार तीसरी बार काबिज होने की कोशिश कर रही तृणमूल कांग्रेस और पहली बार सत्तासीन होने को प्रयासरत भाजपा इस बड़े मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती इसलिए पुण्यधाम में ममता-मोदी के बैनर-होर्डिंग्स के जरिए तृणमूल और भाजपा में जबरदस्त सियासी जंग छिड़ गई है। 

सागरद्वीप पर शुरू से रहा है तृणमूल का दबदबा

सागरद्वीप पर शुरू से ही तृणमूल का दबदबा रहा है। मथुरापुर संसदीय क्षेत्र और सागर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस पुण्यधाम के सांसद-विधायक दोनों ही तृणमूल से हैं। बंगाल की सत्ता पर तृणमूल के काबिज होने के बाद से ही गंगासागर मेले में ममता के बैनर-होर्डिंग्स का आधिपत्य रहा है। उनके अलावा किसी भी अन्य राजनीतिक दल के नेताओं के बैनर-होर्डिंग्स पिछले एक दशक में यहां कभी नहीं देखे गए। स्थानीय एक भाजपा नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि ममता राष्ट्रीय स्तर के इस धार्मिक मेले पर हमेशा अपना एकाधिकार साबित करने की कोशिश करती आई हैं इसलिए अब तक सिर्फ उनके ही बैनर-होर्डिंग्स यहां लगते आए थे लेकिन अब बंगाल में परिवर्तन की बयार आने वाली है।

इस साल पहली बार यहां लगे पीएम मोदी के बैनर- होर्डिंग्स इसका स्पष्ट संकेत है। दूसरी तरफ तृणमूल नेतृत्व हमेशा ही केंद्र की मोदी सरकार पर गंगासागर मेले की घोर उपेक्षा करने का आरोप लगाता रहा है। गंगासागर मेले के आयोजन की जिम्मेदारी प्राप्त राज्य के पंचायत मंत्री व तृणमूल के वरिष्ठ नेता सुब्रत मुखर्जी कहते हैं कि इतने विशाल मेले के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कभी एक पैसा तक नहीं दिया जाता। सारा इंतजाम राज्य सरकार अपने फंड से करती है। और तो और, केंद्र का कोई प्रतिनिधि कभी गंगासागर मेले की सुध लेने भी नहीं आता जबकि बंगाल सरकार के आधे दर्जन मंत्री गंगासागर मेले के समय यहां डटे रहते हैं।

वैसे गंगासागर के वाशिंदों को भी इस बात की शिकायत है कि पीएम मोदी कभी गंगासागर मेले में नहीं आते। उनका कहना है कि पीएम मोदी ने पिछले साल कुंभ मेले में दो-दो बार शिरकत की थी, लेकिन गंगासागर मेले से कुछ दिन पहले कोलकाता आने पर भी उन्होंने यहां का रुख नहीं किया। भाजपा के राज्य नेतृत्व की ओर से हर बार यही आश्वासन दिया जाता है कि केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में इस बात को लाया गया है और भावी गंगासागर मेलों में पीएम मोदी को लाने का प्रयास किया जाएगा।


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