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विज्ञान संबंधी संवाद भारतीय भाषाओं में हो: पीएम

पीएम ने कहा कि वैज्ञानिकों अपने मूल ज्ञान का प्रयोग नए भारत का निर्माण करने के लिए करें।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 01 Jan 2018 06:57 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jan 2018 06:59 PM (IST)
विज्ञान संबंधी संवाद भारतीय भाषाओं में हो: पीएम
विज्ञान संबंधी संवाद भारतीय भाषाओं में हो: पीएम

जागरण संवाददाता, कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान संबंधी संवाद में बड़े पैमाने पर भारतीय भाषाओं के इस्तेमाल की वकालत की है ताकि युवाओं में विज्ञान के प्रति प्रेम बढ़ाया जा सके। कोलकाता में प्रोफेसर सत्येंद्र नाथ बोस की 125वीं जयंती के कर्टन-रेजर समारोह को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दिशा में भाषा को बाधक नहीं बल्कि प्रेरक बनाना चाहिए। बोस भारतीय भाषाओं में विज्ञान की शिक्षा देने वाले महान व्यक्ति थे। उन्होंने बांग्ला में एक विज्ञान पत्रिका भी शुरू की थी।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं के बीच विज्ञान की समझ और उसके प्रति प्रेम बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम विज्ञान से जुड़े संवाद को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करें। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से कहा कि वह अपने मूल ज्ञान का प्रयोग नए भारत का निर्माण करने एवं जनता की रोजमर्रा की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए करें। मौजूदा स्थिति में यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी अध्ययन के परिणाम को उसके माध्यम से गरीबों के जीवन पर पड़े अच्छे प्रभाव के आधार पर आंका जाए।

मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा कि वे देश के समक्ष मौजूद सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपने अनुसंधान का विषय तय करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लिए यह गर्व की बात है कि बंगाल ने दुनिया को सर्वोत्तम वैज्ञानिक दिए हैं। बोस अपने समय से काफी आगे थे। उनके जीवन और कार्यों से काफी कुछ सीखने की जरूरत है। गौरतलब है कि एक जनवरी, 1894 को जन्मे बोस 1920 के दशक में क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्र में अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ काम कर चुके बोस ने बोसॉन कण की खोज की थी।

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