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उत्तर बंगाल में राजनीतिक तूफान के पहले की शांति

-दंगल के लिए कार्यकर्ता और मतदाता तैयार इंतजार चुनावी पहलवानों का अखाड़े में उतरने का

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 12:03 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 12:03 PM (IST)
उत्तर बंगाल में राजनीतिक तूफान के पहले की शांति
उत्तर बंगाल में राजनीतिक तूफान के पहले की शांति

-दंगल के लिए कार्यकर्ता और मतदाता तैयार, इंतजार चुनावी पहलवानों का अखाड़े में उतरने का

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अशोक झा, सिलीगुड़ी : लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। हर राजनीतिक दल ने जीत की योजनाओं की रफ्तार तेज कर दी है। उत्तर बंगाल के आठ लोकसभा और पड़ोसी राज्य सिक्किम के एक लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले से लेकर तीसरे चरण तक संपन्न हो जाएंगे। यहां अभी राजनीतिक तूफान के पहले शांति का माहौल देखा जा रहा है। इसका कारण है चुनावी दंगल में पहलवानों का नहीं उतरना। खाली मैदान में अभी सिर्फ अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी और समर्थक चुनावी मैदान में दौड़ना प्रारंभ कर दिया है। विपक्ष इसको लेकर भी चुप नहीं बैठने वाला। उनका कहना है कि खाली मैदान में अभी से दौड़कर ये सभी गोल करने के पहले ही थककर बैठ जाएंगे। सभी लोकसभा चुनाव और उत्तर बंगाल की सामरिक महत्व वाली सीमाओं पर नजर डाले तो यह काफी संवेदनशील है। यहां माकपा, कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाए रखना है। जहां तक टीएमसी और भाजपा की है दोनों के लिए यह चुनावी चुनौती बनी हुई है। भाजपा इस चुनाव में बांग्लादेशी घुसपैठ, चिटफंट घोटाले के पीड़ित को उनका पैसा वापस दिलाने, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगी वहीं तृणमूल कांग्रेस भाजपा पर नोटबंदी, शहीदों के नाम पर राजनीति करने तथा राज्य में सत्ता में आने के बाद विकास को लेकर मतदाताओं के बीच जाएंगी। दार्जिलिंग हिल्स की बात करें तो टीएमसी और गोजमुमो विनय तमांग गुट की ओर से इस चुनाव में जनता के बीच आठ सूत्रीय मुद्दों को लेकर प्रचार में जाने का निर्णय लिया है। इसमें गोरखा अस्मिता व सुरक्षा, कई जातियों को जनजाति का दर्जा देने, चाय बागान और सिन्कोना बागान के श्रमिकों को जमीन का पट्टा देने, डीआइ फंड की जमीन को जीटीए के तहत देना, चाय श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी देना तथा जीटीए क्षेत्र को नार्थ ईस्ट को डोनर सदस्य की मान्यता देना होगा। इन सभी बातों के अलावा भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की कवायद कर चुकी ममता बनर्जी को भी झटका लगा है कि कांग्रेस, माकपा समेत कई मुस्लिम संगठन गठबंधन को दरकिनार करके चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके है। असम के साथ उत्तर बंगाल में भी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है।

दीदी दबंग पर चुनौती कठिन है

आम मतदाताओं की बात करें तो सबके मुंह से एक बात निकल रही है कि दीदी तो यहां दबंग है, परंतु चुनौती कठिन है। इसके लिए पिछले दिनों हुई जिला परिषद और पंचायत चुनाव की बात करने लगते है। कहते है कि कभी यहां वामपंथियों का बोलबाला था परंतु अब तो बीजेपी कैडर ही हर क्षेत्र में मुकाबला करते दिख रहे है। बंगाल में पंचायत चुनाव के नतीजा ने लेफ्ट और कांग्रेस के साथ टीएमसी ने भी खलबली मचा दी है। सीटों पर जीत की संख्या देखें तो दीदी की दादागिरी बरकरार है। भाजपा का असल हौसला महेशतला उपचुनाव में बढ़ा है, जिसके चलते वह काफी उत्साहित है। यहां वोट शेयर आठ प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

एक माह पूर्व ही आया अ‌र्द्धसैनिक बल

अ‌र्द्धसैनिक बलों ने प्रारंभ की गश्त

पहले चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए 10 कंपनियां पहुंच गयी है। चुनाव के दौरान 125 प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार उत्तर दिनाजपुर के 981, मालदा के 1220 मदतान केंद्रों को संवेदनशील मानकर गश्त प्रारंभ कर रही है।


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