मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया : पार्थ
किसी शिक्षक-शिक्षिका के अस्वस्थ होने की सूरत में सरकार उसका तबादला उसके कहेनुसार स्थान पर कर देती है या फिर जरूरत पड़ने पर उसे रोका भी जाता है। ज्यादातर मामलों में स्वास्थ्य का हवाला दिया जाता है और इनमें शिक्षिकाओं की संख्या कहीं अधिक है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता : किसी शिक्षक-शिक्षिका के अस्वस्थ होने की सूरत में सरकार उसका तबादला उसके कहेनुसार स्थान पर कर देती है या फिर जरूरत पड़ने पर उसे रोका भी जाता है। ज्यादातर मामलों में स्वास्थ्य का हवाला दिया जाता है और इनमें शिक्षिकाओं की संख्या कहीं अधिक है। इससे संबंधित कई शिकायतें भी आई हैं। ज्यादातर मामलों में शिक्षिकाओं द्वारा स्त्रीरोग से पीड़ित होने की बात कही जाती है, लेकिन समझ में नहीं आता है कि सभी शिक्षिकाओं को भला एक ही समस्या कैसे हो सकती है? इससे तो मैं भी आजिज आ चुका हूं। राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने गुरुवार को नजरुल मंच में आयोजित शिक्षकों के कार्यक्रम के दौरान उक्त बातें कही थी। उनके इस बयान को लेकर निंदा शुरू हो गई। कुछ शिक्षकों ने इसे शिक्षा मंत्री की नासमझी करार देते हुए महिलाओं को अपमानित करने वाला बयान करार दे दिया। इसे लेकर शुक्रवार को शिक्षा मंत्री ने अपने फेसबुक पर लिखा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। उनका किसी भी तरह से महिलाओं को अपमानित करने का कोई इरादा नहीं था। उनके बयान की जिस तरह से व्याख्या की जा रही है, उससे वे स्तब्ध हैं।
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