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Padmashri Tushar Kanjilal: नहीं रहे सुंदरवन के शुभचिंतक पद्मश्री तुषार कांजीलाल

सुंदरवन की एक फसली जमीन पर दो फसल उगाने से लेकर क्षेत्र के लोगों के शिक्षा स्वास्थ्य और जीवन स्तर को समृद्ध बनाने को समर्पित 85 वर्षीय पद्मश्री तुषार कांजीलाल नहीं रहे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 09:01 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 09:01 AM (IST)
Padmashri Tushar Kanjilal: नहीं रहे सुंदरवन के शुभचिंतक पद्मश्री तुषार कांजीलाल
Padmashri Tushar Kanjilal: नहीं रहे सुंदरवन के शुभचिंतक पद्मश्री तुषार कांजीलाल

कोलकाता, जागरण संवाददाता। सुंदरवन की एक फसली जमीन पर दो फसल उगाने से लेकर क्षेत्र के लोगों के शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर को समृद्ध बनाने को समर्पित 85 वर्षीय पद्मश्री तुषार कांजीलाल नहीं रहे। बुधवार सुबह अपने निवास पर उन्होंने आखिरी सांस ली। वहीं उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा कि सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद्, लेखक व शिक्षक तुषार कांजीलाल के निधन से बहुत दुखी हूं।

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सुंदरवन की एक फसली जमीन पर दो फसल उगाने से लेकर क्षेत्र के लोगों के शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर को समृद्ध बनाने को समर्पित 85 वर्षीय पद्मश्री तुषार कांजीलाल नहीं रहे। बुधवार सुबह अपने निवास पर उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्होंने बुधवार को कोलकाता स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। उन्होंने लंबे समय तक सुंदरवन के लोगों के कल्याण को अथक प्रयास किया। वे टैगोर सोसाइटी फॉर रूरल डेवलपमेंट के जीवनदाता थे। उनके सामाजिक योगदान को उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनके निधन से समाज सेवा क्षेत्र को एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनका जन्म 3 फरवरी, 1935 को अविभाजित बंगाल के नोयाखाली में हुआ था। वहीं जन्म के उपरांत अपने माता-पिता के साथ कलकत्ता चले आए थे।

उन्होंने अपना छात्र जीवन ब‌र्द्धमान और कोलकाता में बिताया। साथ ही अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सुंदरवन के गोसबार रंगाबेलिया द्वीप पर आए और यहां साल 1975 में उन्होंने रंगाबेलिया टैगोर सोसाइटी की नींव रखी। इस दौरान उन्होंने सुंदरवन के विभिन्न द्वीप इलाकों में काम किया। साथ ही वहां के लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का नित्य प्रयास करते रहे। उनके अतुलनीय कार्यो को उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वे टैगोर सोसाइटी फॉर रूरल डेवलपमेंट के जीवनदाता थे। उनके सामाजिक योगदान को उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनके निधन से समाज सेवा क्षेत्र को एक अपूरणीय क्षति हुई है। 

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