सांप्रदायिकता पर बहस को एकमत वामो, कांग्रेस व तृणमूल
-विपक्ष के सर्वदलीय बैठक प्रस्ताव को सरकार दे सकती है समर्थन -अनुच्छेद 85 के तहत सांप्रदायिकता पर
-विपक्ष के सर्वदलीय बैठक प्रस्ताव को सरकार दे सकती है समर्थन
-अनुच्छेद 85 के तहत सांप्रदायिकता पर चर्चा को तैयार किया गया मसौदा
-मन्नान बोले जब अब हो रहा है वह कभी नहीं हुआ
-पार्थ ने कहा, कामयाब नहीं होगी धर्म के नाम पर फूट डालने की कोशिश जागरण संवाददाता, कोलकाता : राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द रक्षा का हवाला देते हुए विधानसभा में बहस के लिए प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है। सोमवार को संसदीय कार्य मंत्री सह शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस बाबत प्रस्ताव रखा है जिसमें वाममोर्चा और कांग्रेस को शामिल किए जाने की बात कही गई है। इस बीच संसदीय राज्य मंत्री तापस राय ने सदन के अनुच्छेद 85 के तहत सांप्रदायिकता पर चर्चा के लिए एक मसौदा भी तैयार किया है। यह खसड़ा वामो और कांग्रेस को दी गई है लेकिन दोनों ने इसके कुछ पहलुओं पर आपत्ति जाहिर की है। उधर, भाजपा का कहना है कि जब खुद मुख्यमंत्री ने वामो-कांग्रेस को साथ आने का आह्वान किया था और दोनों ने उनसे किनारा कर लिया है तो ऐसे में इंतजार प्रस्ताव आने का है फिर आगे परिस्थितियों के अनुसार कदम उठाया जाएगा।
बताया जाता है कि सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के लिए विपक्ष के साथ सर्वदलीय बैठक के प्रस्ताव को सरकार भी मान सकती है। इस बाबत पार्थ चटर्जी ने कहा कि प्रस्ताव जमा किया गया है लेकिन यह विधानसभा अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वे प्रस्ताव पर बहस को मंजूरी देते हैं अथवा नहीं।
सोमवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि धर्म के नाम पर अब तक किसी की हत्या होते नहीं देखी गई। वर्तमान में जो हो रहा है वह पहले नहीं हुआ। इस संबंध में हम सरकार के साथ हैं और सर्वदलीय बैठक होनी चाहिए। वहीं, मन्नान के सूर में सूर मिलाते हुए माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने भी सर्वदलीय बैठक की तरफदारी की।
उधर, पार्थ चटर्जी ने कहा कि हम विपक्ष के प्रस्ताव को लेकर विधानसभा स्पीकर को सूचित करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी विचारधारा बेसक अलग हो सकती है लेकिन बंगाल में धर्म के आधार पर लोगों के बीच फूट डालने की कोशिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल झारखंड अथवा उत्तर प्रदेश नहीं है जो लोग पश्चिम बंगाल में धर्म के आधार पर बंटवारे की साजिश कर रहे हैं वे लोग कामयाब नहीं होंगे। यहां बता दें कि चंद रोज पहले ही तृणमूल प्रमुख व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ सब को साथ आने का आह्वान किया था और कहा था कि उन्हें भय की भाजपा कहीं संविधान ही न बदल दे।
इस दिन विधानसभा में तृणमूल विधायक असित मजुमदार ने बंडेल में तृणमूल नेता की हत्या का मामला उठाया और इसके लिए भाजपा को जिम्मेवार ठहराया लेकिन विस स्पीकर ने यह कहते हुए उन्हें रोक दिया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है।
विधानसभा में अब्दुल मन्नान ने अपने कमरे में उक्त प्रस्ताव को लेकर बैठक की जिसमें वाममोर्चा, कांग्रेस और तृणमूल के विधायक शामिल हुए। जानकारों का मानना है कि भेदभाव की राजनीति को लेकर तीनों ही दल एकमत नजर आ रहे हैं।