लॉक डाउन से संबंधी ममता सरकार के फैसलों का विरोधी दलों ने किया कड़ा विरोध
बताते चलें कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 31 मई को समाप्त हो रहे लॉकडाउन के बाद लोगों को कई बड़ी छूट देने की शुक्रवार को घोषणा की।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : लॉक डाउन से संबंधी सरकार के फैसलों का विरोधी दल ने कड़ा विरोध किया है। विरोधी दलों का कहना है कि कोरोना के लगातार बढ़ते प्रकोप के बीच लोगों को कई तरह की छूट देने का फैसला कहीं से भी सही नहीं है। यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है। बताते चलें कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 31 मई को समाप्त हो रहे लॉकडाउन के बाद लोगों को कई बड़ी छूट देने की शुक्रवार को घोषणा की। उन्होंने कहा कि 1 जून से सुबह 10 बजे से राज्य में सभी धार्मिक स्थल, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा व गिरजाघर खुलेंगे, लेकिन फिलहाल एक समय में 10 से अधिक लोगों को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि ममता सरकार ने 8 जून से राज्य के सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को 100 फीसद क्षमता (कार्य बल) के साथ काम की इजाजत दी है लेकिन जब सड़कों पर बस ही नहीं चलेगी तब लोग अपने कार्यालय कैसे जाएंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसके लिए पूरी तरह ममता सरकार जिम्मेदार है। यहां के लोग लॉक डाउन को नहीं मान रहे हैं और इसके लिए कहीं से ना कहीं प्रशासन ही जिम्मेदार है। वहीं भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक जून से सभी धार्मिक स्थलों को खोले जाने की घोषणा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अभी यह सरकार की जल्दबाजी है। जब तक कोरोना पर नियंत्रण नहीं हो जाता, इस तरह की छूट देना उचित नहीं है।
विजयवर्गीय ने कहा कि लोग अपने घर पर भी बैठ कर ईश्वर का स्मरण कर सकते हैं। इस प्रकार जोखिमभरा निर्णय सरकार को तभी लेना चाहिए, जब उसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की क्षमता हो, तभी यह छूट देनी चाहिए, अन्यथा नहीं देनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान तथा माकपा नेता सूजन चक्रवर्ती ने कहा है कि सरकार ने बंगाल में कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के बीच सभी राज्य राजमार्गों और जिले की सड़कों को भी फिर से खोल देने की घोषणा की है जो बेहद घातक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में पुलिस भी तृणमूल कांग्रेस के कैडर के तरह कार्य कर रही है। राज्य की मुख्यमंत्री कोरोना में भी राजनीति कर रही हैं। ममता सरकार अराजकता, अत्याचार व कुशासन का जीवंत उदाहरण है। राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मामले में रिकार्ड बना दिया है। राशन वितरण में घोटाले हाल के उदाहरण हैं।