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West Bengal: अस्पताल में कोरोना से हो गई थी मौत, श्राद्ध की तैयारी के समय लौट आया घर

प्रोटोकॉल के तहत परिवार वालों को दूर से ही उनकी लाश दिखाई गई तथा उसके बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया। अस्पताल से अचानक फोन आया मरीज बिल्कुल ठीक हो गए हैं। दरअसल एक ही नाम के दो मरीज होने के कारण अस्पताल की ओर से गलती हुई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 09:28 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 09:53 AM (IST)
West Bengal: अस्पताल में कोरोना से हो गई थी मौत, श्राद्ध की तैयारी के समय लौट आया घर
बंगाल में मृत घोषित होने के बाद घर लौटे वृद्ध कोरोना मरीज, चल रही थी श्राद्ध की तैयारी

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में कोरोना का मरीज मृत घोषित किए जाने के बाद घर लौट आया है। परिवार के सदस्यों को एक हफ्ते बाद शव मिला था, जिसका उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया था। श्राद्ध से एक दिन पहले 'मृतक' लौट आया।

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बिराटी के रहने वाले 75 साल के शिवदास बंद्योपाध्याय को कोरोना संक्रमित होने पर 11 नवंबर को बारासात के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो दिन बाद उनके परिवार के सदस्यों को उनके निधन की खबर दी गई।प्रोटोकॉल के मुताबिक शव को प्लास्टिक की एक थैली में रखा गया था और दूर से परिवार के सदस्यों को दिखाया गया, जिसकी वजह से वे चेहरे को स्पष्ट रूप से नहीं देख सके।

मृतक के बेटे ने कहा-'हमने शव का अंतिम संस्कार किया और श्रद्धा के लिए तैयार थे। तभी हमें फोन आया। किसी ने बताया कि हमारे पिताजी ठीक हो गए हैं और हमें उन्हें अस्पताल से घर लाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करनी चाहिए। यह सुनकर हम हैरान हो गए। हम नहीं जानते कि हमने किसका अंतिम संस्कार किया है। जब पूछ-ताछ की गई कि स्वास्थ्य विभाग से पता चला कि एक बुजुर्ग कोरोना रोगी की 13 नवंबर को मृत्यु हो गई थी। वे खड़दह के रहने वाले थे। स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है।

जिला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कहा गया कि गलती करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बीच भाजपा के बंगाल अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ऐसी घटनाएं केवल पश्चिम बंगाल में ही हो सकती हैं। राज्य सरकार कोरोना से मरने वालों की संख्या कम दिखाने के लिए कम जांच कर रही है। पड़ोसी राज्य बिहार, ओडिशा और यूपी में रोजाना एक लाख से अधिक परीक्षण हो रहे हैं जबकि बंगाल सरकार इसे 45,000 पर रख रही है क्योंकि वह तथ्यों को दबाना चाहती है। यदि बंगाल में रोजाना एक लाख से अधिक नमूनों का परीक्षण होगा तो 20,000 से अधिक नए मामलों का निदान किया जाएगा। ममता सरकार को लोगों के जीवन के साथ खेलने का कोई अधिकार नहीं है।


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