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मेट्रो की राह में बाधा बनी पुरानी इमारतें, कोलकाता निवासियों ने भवनों को खाली करने से किया इनकार

गंगा नदी के नीचे से बन रही बहुप्रतीक्षित ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की राह में एक बार फिर पुरानी इमारतें रोड़ा बन कर खड़ी हो गई हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 12:36 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 04:01 PM (IST)
मेट्रो की राह में बाधा बनी पुरानी इमारतें, कोलकाता निवासियों ने भवनों को खाली करने से किया इनकार
मेट्रो की राह में बाधा बनी पुरानी इमारतें, कोलकाता निवासियों ने भवनों को खाली करने से किया इनकार

कोलकाता, जागरण संवाददाता। गंगा नदी के नीचे से बन रही बहुप्रतीक्षित ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की राह में एक बार फिर पुरानी इमारतें रोड़ा बन कर खड़ी हो गई हैं। मेट्रो के लिए एस्पलानेड से सियालदह तक भूमिगत सुरंग का निर्माण कार्य रुक गया है क्योंकि क्षेत्र के कुछ पुराने भवनों के निवासियों ने परिसर को खाली करने से इनकार कर दिया है। इसके बाद रेलवे की ओर से राज्य सरकार को इस पर तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया गया है।

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सोमवार कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है। बताया गया है कि केएमआरसीएल ने आश्वस्त किया है कि पुराने भवनों के मालिकों और किरायेदारों के पुनर्वास के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाएगी और भूमिगत सुरंग के निर्माण के बाद उन्हें अपने पुराने घरों में वापस लाया जाएगा। जनवरी में शुरू हुई एस्पलानेड से सियालदाह तक भूमिगत सुरंग का निर्माण चुनौतीपूर्ण रहा है, क्योंकि मार्ग के किनारे 138 पुरानी इमारतें हैं।

सुरंग को पूरा करने के लिए एक से डेढ़ साल का समय लगने का अनुमान है। निर्मल चंद्र सरणी और बउबाजार स्ट्रीट शाखा से लेकर सियालदह के एस एन बनर्जी रोड के नीचे भूमिगत सुरंग का निर्माण बैंक ऑफ इंडिया तक किया जाएगा। कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि इन 138 इमारतों में से 80 से अति की संरचना गलत हैं और 30 से अधिक इमारतें हैं जो 100 साल से अधिक पुरानी हैं।

कुछ सदियों पुरानी इमारतों में मेट्रोपॉलिटन बिल्डिंग, कोलकाता मेट्रोपॉलिटन कॉर्पोरेशन मुख्यालय, रानी रासमणि का घर, आईटीआई भवन, डॉ बी सी रॉय का घर और प्रताप चंद्र का घर शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि अधिकांश पुरानी इमारतों की मरम्मत कई वर्षों से नहीं की गई है और सुरंग के निर्माण के दौरान उन्हें बचाने के लिए उचित सावधानी बरती जानी चाहिए।

ऐसे में यहां रहने वाले लोगों को जल्द दूसरी जगह शिफ्ट करने की व्यवस्था की जा रही है ताकि ईस्ट वेस्ट मेट्रो का काम आगे बढ़ सके। उल्लेखनीय है कि गंगा नदी के नीचे से बन रहे इस बहुप्रतीक्षित मेट्रो रूट का काम 2016 में ही पूरा हो जाना था लेकिन तमाम तरह बाधाओं के कारण यह लगातार लंबित होती जा रही है। 


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