अब पंचायत चुनाव रद करने के लिए हाईकोर्ट में मुकदमा
पश्चिम बंगाल के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो चुके हैं। परंतु, विवाद व कानूनी लड़ाई नहीं थम रहे।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। पश्चिम बंगाल के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो चुके हैं। परंतु, विवाद व कानूनी लड़ाई नहीं थम रहे। अब मतदान के दौरान हुई व्यापक हिंसा व धांधली को लेकर बुद्धिजीवियों के मंच ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को ही रद करने की मांग को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट की अवकाशकालीन खंडपीठ में मुकदमा दायर किया है।
हाईकोर्ट ने सोमवार को याचिका को स्वीकारते हुए राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग को 29 जून तक हलफनामा पेश कर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। मामले पर 6 जुलाई को फिर सुनवाई होगी।
बुद्धिजीवी मंच का आरोप है कि राज्य में निर्बाध, निष्पक्ष व शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव संपन्न कराने में राज्य सरकार व चुनाव आयोग पूरी तरह से विफल रही है। अपने गणतांत्रिक अधिकार का मतदाता इस्तेमाल नहीं कर पाए। इसीलिए इस चुनाव को रद किया जाना चाहिए।
बुद्धिजीवियों के मंच की ओर से प्रदीप चक्रवर्ती व अन्य ने सोमवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश देवांग्शु बसाक व न्यायमूर्ति अ¨रदम मुखर्जी की खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुप्रदीप राय ने कहा कि 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव संपन्न कराने का निर्देश दिया था। परंतु, देखा गया है कि पंचायत चुनाव के मतदान के दिन हुई हिंसा में 21 लोगों की जान चली गई। पूरे दिन हिंसक घटनाएं होती रही। इसीलिए पंचायत चुनाव की पूरी प्रक्रिया को रद की जाए। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति देवांग्शु बसाक और अरिंदम मुखर्जी की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को हलफनामा दाखिलकर कर अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि पंचायत चुनाव के लिए पूरे राज्यभर में मतदान 14 मई को हुआ जबकि 17 मई को मतगणना हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले राज्य सरकार व आयोग को राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित कराने का सख्त निर्देश दिया था लेकिन इसके बावजूद मतदान के दिन बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। हालांकि राज्य सरकार की ओर से मतदान के दिन दावा किया गया कि चुनावी हिंसा में सिर्फ छह लोगों की मौत हुई है। वहीं बाद में राज्य सरकार की ओर चुनावी हिंसा में मरे 14 लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई है।
बंगाल में नहीं है सांप्रदायिकता के लिए जगह
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि सांप्रदायिकता के लिए राज्य में कोई जगह नहीं है, राज्य 'अनकेता में एकता' के सिद्धांत पर विश्वास रखता है।
सोमवार को किए एक ट्वीट में सुश्री बनर्जी ने लिखा है, 'आज वार्ता और विकास के लिए सांस्कृतिक विविधता विश्व दिवस है। हमारी सरकार हमेशा से 'अनेकता में एकता' में यकीन रखती है। बंगाल के लोगों के दिल और दिमाग में सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं है।' उल्लेखनीय है कि यह दिवस वार्षिक तौर पर मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने विविधता के मुद्दों के प्रचार के लिए इसे अंतरराष्ट्रीय अवकाश के रूप में मंजूरी दी है।
यह बात दीगर है कि पश्चिम बंगाल में 'सांप्रदायिक हिंसा' की कुछ घटनाएं हुई थीं। वर्ष 2016 में हावड़ा जिले के धूलागढ़ में और इस साल मार्च में आसनसोल तथा रानीगंज में ये घटनाएं हुई थी। मुख्यमंत्री ने तब इन घटनाओं को स्थानीय मसला बताया था न कि सांप्रदायिक समस्या।
ममता ने आरोप लगाती रही हैं कि भाजपा हिन्दुत्व की विचारधारा को हवा देने के लिए सांप्रदायिक तनाव भड़का रही है। इससे पहले संसद में गृह मामलों के राज्य मंत्री (एमओएस) हंसराज गंगाराम अहिर ने 6 फरवरी को दिखाया कि पिछले तीन सालों में पश्चिम बंगाल में ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।