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अब केंद्र की भिखारियों की पुनर्वास योजना में शामिल होने को लेकर दुविधा में बंगाल

असमंजस योजना के क्रियान्वयन को लेकर अभी तक सिर्फ बंगाल ने नहीं सौंपा है मसौदा सत्ताधारी दल को डर है कि बंगाल में सबसे ज्यादा भिखारियों का मुद्दा भाजपा को लग सकता है हाथ बंगाल अब भिखारियों के लिए पुनर्वास योजना में शामिल होने को लेकर दुविधा में है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:28 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:28 AM (IST)
अब केंद्र की भिखारियों की पुनर्वास योजना में शामिल होने को लेकर दुविधा में बंगाल
मंत्रालय ने देशभर में भिखारियों के लिए एक व्‍यापक पुनर्वास योजना शुरू की है

कोलकाता, इंद्रजीत सिंह। बंगाल अब केंद्र की ओर से शुरू की गई भिखारियों के लिए पुनर्वास योजना में शामिल होने को लेकर दुविधा में है। सूत्रों के मुताबिक इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर बंगाल को छोड़कर देश के लगभग सभी राज्यों ने केंद्र को मसौदा सौंप दिया है, लेकिन केंद्र की ओर से लगातार पत्र भेजने के बावजूद बंगाल की ओर से अभी तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया है। सियासी जानकारों की मानें तो सत्ताधारी दल को डर है कि बंगाल में सबसे ज्यादा भिखारियों का मुद्दा भाजपा को हाथ लग सकता है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के लिए महंगा पड़ सकता है।

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दरअसल सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देशभर में भिखारियों के लिए एक व्‍यापक पुनर्वास योजना शुरू की है। इसके तहत सबसे पहले देश के चुनिंदा 10 शहरों को भिखारी मुक्त करना है जिसमें कोलकाता भी शामिल है। इसमें पहचान, पुनर्वास, चिकित्‍सा सुविधाओं का प्रावधान, परामर्श, शिक्षा, कौशल विकास आदि शामिल होंगे। इसके लिए सभी राज्यों से भिखारियों का समुचित आंकड़ा मांगा गया है।

सूत्रों के मुताबिक बंगाल को छोड़कर लगभग सभी राज्यों ने केंद्र को भिखारियों से संबंधित अपना मसौदा भेज दिया है लेकिन बंगाल की ओर से अभी तक कोई आंकड़ा नहीं भेजा गया है। योजना के क्रियान्वयन को लेकर सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से राज्य को कई बार पत्र भेजा गया है। पिछले हफ्ते ही मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोलकाता नगर निगम के आयुक्त से बात की है लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है।

बंगाल में सबसे ज्यादा भिखारी

मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक देश में फिलहाल 4.13 लाख भिखारी हैं जिसमें बंगाल में लगभग 81 हजार हैं। यानी देश के कुल भिखारियों के लगभग एक चौथाई बंगाल में हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि सत्ताधारी दल को डर है कि बंगाल में सबसे ज्यादा भिखारियों का मुद्दा भाजपा को हाथ लग सकता है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के लिए महंगा पड़ सकता है। हालांकि इसके साथ ही राज्य को केंद्रीय योजना में शामिल नहीं होने पर फंड से वंचित होने का भी डर भी सता रहा है।

आयुष्मान भारत और पीएम किसान सम्मान निधि योजना में बंगाल नहीं हुआ था शामिल

इससे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आयुष्मान भारत और पीएम किसान सम्मान निधि योजनाओं को राज्य में लागू नहीं करने का एलान किया था। हालांकि बाद में वह सशर्त लागू करने पर राजी हो गई। शुरुआत में दो योजनाओं में बंगाल के शामिल नहीं होने पर राज्य की छवि पर इसका बुरा असर पड़ा था। भिखारी पुनर्वास योजना में बंगाल के शामिल नहीं होने के सवाल पर कोलकाता नगर निगम के प्रशासक तथा शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने कोई सीधा जवाब ना देकर आरोप लगाया कि केंद्र वैसेे भी अपनी योजनाओंं के लिए बंगाल को पैसा नहीं देता है। हम लोग अपने स्तर पर भिखारियोंं के पुनर्वास की व्यवस्था कर रहे हैं। 


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