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बंगाल सफारी की बाघिन 'शीला' ने तीन शावकों को दिया जन्म, नए मेहमानों से परिवार गदगद

नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क (बंगाल सफारी) की बाघिन शीला ने बुधवार सुबह-सुबह बड़ी खुशखबरी दी। उसने तड़के 0445 से सुबह 0720 बजे तक तीन शावकों को जन्म दिया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 04:04 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 04:04 PM (IST)
बंगाल सफारी की बाघिन 'शीला' ने तीन शावकों को दिया जन्म, नए मेहमानों से परिवार गदगद
बंगाल सफारी की बाघिन 'शीला' ने तीन शावकों को दिया जन्म, नए मेहमानों से परिवार गदगद

इरफ़ान-ए-आज़म, सिलीगुड़ी :  नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क (बंगाल सफारी) की बाघिन 'शीला' ने बुधवार सुबह-सुबह बड़ी खुशखबरी दी। उसने तड़के 04:45 से सुबह 07:20 बजे तक तीन शावकों को जन्म दिया। वे तीनों ही स्वस्थ हैं और मां का दूध भी खूब पी रहे हैं। मां व नवजात शावकों, चारों की ही अलग से विशेष देखरेख की जा रही है। इन नए मेहमानों की आमद से पिता 'विभान' और दोनों बहनें 'रीका' व 'कीका' गदगद हैं। 

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यह वास्तव में बड़ी खुशी की बात है कि सिलीगुड़ी शहर से लगभग 10-11 किलोमीटर दूर पांच माइल में सेवक रोड किनारे 297 हेक्टेयर जंगली भूभाग में फैले विशाल 'बंगाल सफारी' पार्क में रॉयल बंगाल टाइगरों की संख्या अब चार से बढ़कर सात हो गई है। याद रहे कि, इससे पूर्व 11 मई 2018 को भी 'शीला' ने तीन शावकों रीका, कीका, व इका को जन्म दिया था। ये नामकरण खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया था। उन तीनों शावकों में से एक 'इका' की जन्मजात कमजोरी के कारण, पांच महीने बाद ही मौत हो गई। उन तीनों शावकों का पिता 'स्नेहाशीष' था जो इन दिनों कोलकाता के अलीपुर स्थित चिड़ियाघर में है। वहां, पहले से तीन बाघिन व चार बाघ थे। मगर, उन चारों बाघों की उम्र 12 वर्ष से अधिक थी और वे संख्या-वृद्धि में सक्षम नहीं हो पा रहे थे इसीलिए 'स्नेहाशीष' को दिसंबर 2018 में नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क (बंगाल सफारी) से कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर ले जाया गया।

गौरतलब है कि पहले पहल 'शीला' व 'स्नेहाशीष' की जोड़ी को फरवरी 2016 में ओड़िशा के नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क से कोलकाता के अलीपुर स्थित चिड़ियाघर ले जाया गया था। तब, शीला की उम्र ढाई साल और स्नेहाशीष की उम्र दो साल थी। कोलकाता चिड़ियाघर में 10 महीने गुजारने के बाद दोनों दिसंबर 2016 में सिलीगुड़ी के निकट 'बंगाल सफारी' पार्क लाए गए। फिर, नवंबर 2017 में झारखंड के जमशेदपुर स्थित टाटा जूलोजिकल पार्क से एक और बाघ 'विभान' भी यहां 'बंगाल सफारी' पार्क लाया गया। उसके बाद दिसंबर 2018 में 'शीला' से जुदा कर 'स्नेहाशीष' को कोलकाता भेज दिया गया। तब, सबको यही चिंता थी कि  'स्नेहाशीष' के बगैर 'शीला' रह पाएगी या नहीं, पर, कुछ ही दिनों बाद 'शीला' 'विभान' के साथ अच्छी तरह घुल-मिल गई। अब, इस जोड़ी ने तीन नए मेहमानों की आमद कर 'बंगाल सफारी' पार्क की रौनक और बढ़ा दी है।

नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क (बंगाल सफारी) के निदेशक धर्मदेव राय ने बताया कि तीनों नए मेहमान स्वस्थ हैं और अपनी मां के साथ पूरी तरह खुश हैं। उनकी विशेष देखरेख की जा रही है। नए आए मेहमान यानी तीनों नवजात शावकों के लिंग का पता अभी नहीं चल पाया है। दो-तीन महीने बाद ही उसकी जानकारी हो पाएगी। गौरतलब है कि बाघिन तीन साल और बाघ चार साल की उम्र में यौन रूप से परिपक्व हो जाते हैं। बाघिन की गर्भ-अवधि 100-110 दिन होती है। वह अपने नवजात शावकों के साथ एक से डेढ़ साल गुजारती है। उसके बाद वे जुदा हो जाते हैं। तदोपरांत बाघिन पुनः कभी भी गर्भवती हो सकती है। वैसे, यदि छह-सात महीने में ही मां व शावकों को अलग-अलग कर दिया जाए तब भी बाघिन गर्भवती हो सकती है।


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