नई चिकित्सा प्रणाली से दिल की बीमारियों पर होगा काबू
सम्मेलन में वैज्ञानिक संयोजक और आयोजन सचिव डा पीके हाजरा ने कहा है कि इस सम्मेलन में कई नई दवाओं पर चर्चा की गई, जो हार्ट फेल्योर के इलाज के लिए उपलब्ध हैं।
जागरण संवाददाता, कोलकाता : पूर्वी भारत में पहली बार किया गया। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन को सोसाइटी आफ कार्डियक इंटरवेन्शन (एससीआइ) द्वारा समन्वित किया गया। इस शिखर सम्मेलन में पुराने हार्ट फेल्योर से ग्रस्त मरीजों के जीवन को बढ़ाने के लिए वर्तमान चिकित्सा, नए उपकरणों और नई प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला गया।
सम्मेलन में वैज्ञानिक संयोजक और आयोजन सचिव डा पीके हाजरा ने कहा है कि इस सम्मेलन में कई नई दवाओं पर चर्चा की गई, जो हार्ट फेल्योर के इलाज के लिए उपलब्ध हैं। इन्हें छह महीने से एक वर्ष पूर्व यूरोप और अमेरिका में शुरू किया गया है और मानव उपयोग पर पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका एफडीए द्वारा अनुमोदित किया गया है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान हस्तांतरण की वजह से इतनी तेजी से बढ़ने के कारण भारतीय रोगियों को जल्द ही इस नई दवाओं का लाभ मिल रहा है। इन तकनीकों के विपरीत और नए उपचार पांच से दस साल के बाद भारत में उपयोग के लिए आते हैं।
इसलिए हम नई एंटी-डाइबिटीज दवा, हार्ट फेल्योर दवा व छोटे डिवाइस का उपयोग कर सकते हैं जो हमें हार्ट फेल्योर के खिलाफ लड़ने में मदद की है। डॉ प्रकाश मंडल व डा सरोज मंडल ने कहा कि इस सम्मेलन में इंटरवेन्शनल कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया कि कैसे हार्ट फेल्योर को रोका जा सकता है। मधुमेह के कारण गंभीर हार्ट फेल्योर का प्रबंधन करने के लिए नए उपचार, हार्ट फेल्योर के रोगियों के पुनर्वास के तरीके, हार्ट फेल्योर के लिए नई उन्नत प्रक्रिया की लागत को कम करने, लंबे समय तक जीने के तरीके और कनिष्ठ डॉक्टर हार्ट फेल्योर का मुकाबला करने के लिए नई तकनीक का प्रचार कैसे करें जैसे बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
एससीआइ का यह सम्मेलन भारत में पहली बार हुआ, जहां सामान्य चिकित्सकों, मधुमेह विशेषज्ञों, हृदय रोग विशेषज्ञों, नेफ्रोलॉजिस्ट और प्रोफेसर और मेडिकल छात्र जैसे विभिन्न धाराओं के डॉक्टरों ने अपने विचारों का आदान-प्रदान किया और दिल की बीमारियों की रोकथाम और उपचार पर विचार साझा किया।सम्मेलन में उपस्थित वरिष्ठ चिकित्स