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West Bengal: नेताजी के परिजनों ने मुखर्जी आयोग की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल

Netaji Subhash Chandra Bose नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजनों ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। नेताजी के परपौत्र और परपौत्री ने एक पत्र लिखा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 07:37 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 07:37 PM (IST)
West Bengal: नेताजी के परिजनों ने मुखर्जी आयोग की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल
West Bengal: नेताजी के परिजनों ने मुखर्जी आयोग की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Netaji Subhash Chandra Bose: महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजनों ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि इसमें कोई कारण और परिस्थितियों की जानकारी दिए बिना नेताजी को मृत घोषित कर दिया गया। नेताजी के परपौत्र सूर्य बोस और परपौत्री माधुरी बोस ने एक खुले पत्र में कहा है कि न्यायमूर्ति मनोज कुमार मुखर्जी ने आठ नवंबर, 2005 की अपनी रिपोर्ट में उल्लेखित किया कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, जैसा कहा जाता है तथा टोक्यो में रेंकोजी मंदिर में रखी अस्थियां नेताजी की नहीं हैं। गत 24 अगस्त को लिखे इस पत्र के मुताबिक, 1999 में गठित आयोग इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे सका कि क्या बोस की मृत्यु अलग तरह से किसी अन्य स्थान पर कब और कैसे हुई। इसमें लिखा है कि उन्होंने (न्यायमूर्ति मुखर्जी) अपनी रिपोर्ट में उल्लेखित किया कि नेताजी की मृत्यु हो गई है।

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वास्तव में क्या हुआ यह सवाल अनुत्तरित है

ताइवान में कोई हवाई दुर्घटना नहीं होने और इसलिए नेताजी की मृत्यु नहीं होने के निष्कर्ष के समर्थन में न्यायमूर्ति मुखर्जी द्वारा दिए गए तथाकथित सुबूत और दलीलें विश्वसनीय नहीं हैं। बोस के परिवार के उक्त दोनों सदस्यों ने कहा कि 75 साल बीत चुके हैं, जब उन्हें जापान सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर उनकी 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में एक हवाई दुर्घटना में मौत होने की सूचना दी गई थी। वास्तव में उनके साथ क्या हुआ, बहुत लोगों के मन का यह सवाल अभी तक अनुत्तरित है। उन्होंने टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में अवशेषों की डीएनए जांच की मांग की और कहा कि यह मुद्दा विशेषज्ञों द्वारा न्यायमूíत मुखर्जी आयोग की सुनवाई के दौरान उठाया गया था, लेकिन उस पर पहल नहीं की गई थी।

डीएनए जांच के लिए क्यों नहीं बढ़े आगे

उन्होंने पत्र के जरिये दावा किया कि रेंकोजी मंदिर के अधिकारी पूर्ण सहयोग देने के लिए तैयार थे, लेकिन न्यायमूर्ति मुखर्जी ने डीएनए जांच के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया। रिपोर्ट 17 मई, 2006 को संसद में रखी गई थी। इसमें कहा गया कि ताईहोकू हवाई दुर्घटना के बाद नेताजी के लापता होने के संबंध में कम से कम दस जांच हुई हैं, जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों शामिल हैं, लेकिन सभी में इस मामले पर जापान की आधिकारिक स्थिति की पुष्टि की गई और समर्थन किया गया। पत्र में लिखा गया है कि बाद के दो (नवाज और खोसला) आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि उस जापानी सैन्य विमान के उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त होने के परिणामस्वरूप नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताईहोकू, ताइवान के एक सैन्य अस्पताल में हुई थी। रेंकोजी मंदिर में रखी गईं अस्थियां उनकी ही हैं। 2017 में केंद्र ने संसद को बताया कि बोस की मृत्यु 1945 में हवाई दुर्घटना में हुई थी।


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