ममता का जयंती पर नेताजी को तोहफा, पर्यटन केंद्र बनेगा निवास
जागरण न्यूज नेटवर्क, कोलकाता: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 121वीं
जागरण न्यूज नेटवर्क, कोलकाता: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 121वीं जयंती पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। इसके साथ ही बंगाल की ममता सरकार दो ऐतिहासिक स्थानों को एक साथ जोड़ने की दिशा में काम कर रही है, जिसमें नेताजी यानी बोस का पैतृक आवास भी शामिल है।
ममता सरकार ने तय किया है कि वह दो ऐतिहासिक स्थानों को एक साथ जोड़ेगी, जिसमें से एक तकरीबन 1500 वषरें पहले का स्थान है जबकि दूसरा आधुनिक भारत का इतिहास है। इन दोनों स्थानों को मिलाकर राज्य के नए पर्यटन जिले के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें कोलकाता के दक्षिणी छोर पर 15 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र शामिल है।
बता दें कि राज्य में 6 पर्यटन क्षेत्र हैं जबकि कई अन्य तकरीबन तैयार हैं। इनमें से दक्षिण 24 परगना जिले में कोदालिया इस तरह का एक अकेला पर्यटन स्थल होगा, जिसमें दो अलग-अलग क्षेत्र होंगे। इसके अंतर्गत 5वीं और 19वीं शताब्दी के युगों को इसमें एकजुट किया जाएगा। इस स्थान पर पर्यटकों को देश के इतिहास और विरासत दोनों का अनुभव मिल सकेगा।
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सुभाषेर बाड़ी की बदलेगी सूरत
बंगाल के तिल्पी और दोसा नामक स्थान लोगों को प्राचीन इतिहास से जोड़ेंगे, जो बौद्ध युग के प्रतीक हैं। वहीं आधुनिक ऐतिहासिक स्थल के रूप में बंगाल के सबसे सम्मानित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक नेताजी सुभाषचंद्र बोस का पैतृक घर है। अधिकारियों को उम्मीद है कि वे यहा पर आने वाले लोगों को भारतीय इतिहास में आने वाले उतार-चढ़ाव की गहरी जानकारी दे सकेंगे। सरकार की योजनाओं में कोदालिया के सुभाषग्राम में नेताजी (सुभाषचंद्र बोस) का पैतृक घर शामिल है। यही नहीं, हरनाथ लॉज तकरीबन 258 साल पुराना है। बोस के परिवारवाले वर्ष 1760 में बर्द्धमान के महीनगर चले गए। स्थानीय तौर पर उनके घर को सुभाषेर बाड़ी नाम से जाना जाता है।
जानिए क्या कहते हैं चित्तप्रियो बोस
नेताजी के वंशज चित्तप्रियो बोस कहते हैं, यहा देश और विदेश से लोग आते हैं। हम 250 साल पुरानी दुर्गा पूजा और सरस्वती समेत लक्ष्मी जी की पूजा इस दिन करते हैं। यह एक ऐसा दिन है जब विश्व के अलग-अलग हिस्सों में रह रहा बोस परिवार एकजुट होता है। मेरे दादा जी लोगों ने अपना बचपन इसी घर में गुजारा है। बता दें कि राज्य पुरातत्व विभाग और सार्वजनिक कार्य विभाग ने 77 लाख रुपये की धनराशि से पहले ही पुनर्विकास के कार्य शुरू कर दिए हैं। राज्य पुरातत्व विभाग के दिलीप दत्ता कहते हैं, जब भी हम प्राचीन भारतीय सभ्यताओं के बारे में बात करते हैं तो हम अक्सर अतीत को नजरंदाज करते हैं। हमें उम्मीद है कि इसके जरिए हम इतिहास के बारे में पर्यटकों को गहरी समझ दे पाएंगे।