Move to Jagran APP

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन विजय सांपला ने बंगाल के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लगाए गंभीर आरोप

बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुई हिंसा के बीच दो दिवसीय राज्य दौरे के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के चेयरमैन विजय सांपला ने शुक्रवार को कहा कि बंगाल में अनुसूचित जाति वर्ग के लोग डर और दहशत के माहौल में जी रहे हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 06:53 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 06:53 PM (IST)
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन विजय सांपला ने बंगाल के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लगाए गंभीर आरोप
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के चेयरमैन विजय सांपला

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुई हिंसा के बीच दो दिवसीय राज्य दौरे के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के चेयरमैन विजय सांपला ने शुक्रवार को कहा कि बंगाल में अनुसूचित जाति वर्ग के लोग डर और दहशत के माहौल में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनपर होते अत्याचार में पुलिस दंगाइयों के साथ खड़ी है। जिला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

prime article banner

बंगाल में अनुसूचित जाति (एससी) के लोगों पर हुए अत्याचार की शिकायतों के बाद इसकी पड़ताल के लिए गुरुवार को सांपला की अगुवाई में आई आयोग की टीम ने दो दिवसीय दौरे के दौरान राज्य के हिंसा प्रभावित कई इलाकों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। इसके बाद कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सांपला ने कहा कि इस दौरान लगभग 1,000 शिकायत पत्र जमा हुए हैं। दिल्ली लौटने के बाद वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को रिपोर्ट सौंपेंगे। 

साल 1947 की आपबीती से भी भयावह

सांपला ने कहा, '1947 की जो दर्दनाक भयावह आपबीती बुजुर्गों से हम सुनते थे, तस्वीरें देखते थे, उसका प्रत्यक्ष एहसास मुझे पूर्व बर्द्धमान जिले के मिल्कीपाड़ा गांव में दौरे के समय हुआ, जहां एक ही लाइन में 12 दुकानें तोड़ी व लूटी गई हैं।' उन्होंने कहा कि बंगाल पुलिस दंगाइयों के साथ खड़ी है और यही कारण है कि बर्द्धमान के गांव नबाग्राम और दक्षिण 24 परगना जिले के नबासन गांव में पीड़ित अनुसूचित जाति समुदाय से जुड़े परिवार घर छोड़कर भाग गए और दंगाई सरेआम घूम रहे हैं। 

दोषियों के खिलाफ नहीं हो रही है कोई कार्रवाई

उन्होंने कहा कि बर्द्धमान शहर के अंदर घरों पर आक्रमण कर घर जलाए गए। तोड़े गए, लूटे गए। डर के मारे पूरे के पूरे मोहल्ले खाली हो गए हैं। बंगाल पुलिस आंख व कान बंद कर बैठी है। सांपला ने आगे कहा कि अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही, क्योंकि इसके तहत शिकायत आने पर, पहले एफआइआर करनी होती है, फिर सीधा आरोपितों को गिरफ्तार करना होता है और बाद में जांच होती है। 

दोषियों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

उन्होंने कहा कि मुआवजा तो छोड़ों पीड़ितों की तो जिला प्रशासन द्वारा ना तो सूची बनाई गई है, ना उनके नुकसान का अंदाजा लगाया गया है और ना ही उन्हें अब तक कोई मुआवजा दिया गया है। जब तक उनका पुनर्वास नहीं हो जाता, तब-तक प्रशासन को उनको तीनों समय का भोजन के लिए राशन और सिर रहने के लिए जगह देनी होती है। वह भी बंगाल प्रशासन अब तक नहीं कर पाया। सांपला ने बंगाल सरकार से मांग की कि वे तुरंत अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत कारवाई ना करने के दोषी पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड करे और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.