Narada sting operation case: सीबीआइ व ईडी को विधानसभा में पेश होने की जरूरत नहीं: कलकत्ता हाई कोर्ट
Narada sting operation case स्पीकर द्वारा तलब किए जाने पर सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) के अधिकारियों को बंगाल विधानसभा में पेश होने की कोई जरूरत नहीं है। यह निर्देश गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने दिए हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: स्पीकर द्वारा तलब किए जाने पर सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को बंगाल विधानसभा में पेश होने की कोई जरूरत नहीं है। यह निर्देश गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने दिए हैं। उन्होंने कहा कि नारद स्टिंग मामले में केंद्रीय खुफिया एजेंसी के अधिकारियों को अध्यक्ष के समन पर हाजिर होने की कोई जरूरत नहीं है। मामले पर सुनवाई आज यानी शुक्रवार को फिर होगी। इससे पहले सीबीआइ व ईडी के अधिकारियों ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की थी।
पिछले सोमवार की शाम चार बजे हाईकोर्ट के आदेश पर वे विधानसभा गए थे। इसके बाद एक बार फिर गुरुवार को स्पीकर ने सीबीआइ और ईडी के अधिकारियों को बुलाया था। इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने उच्च न्यायालय में यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि कोई स्पीकर किसी सीबीआइ अधिकारी को समन नहीं कर सकते। इस पर सोमवार को हाई कोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा ने कहा था कि सामान्य बैठक में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसके बाद आज उन्होंने अब पेश होने को गैरजरूरी बताया है।
इससे पहले ही ईडी भी विधानसभा अध्यक्ष के समन को चुनौती देने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय जाने पर विचार कर रहा था। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी इससे पहले दो बार ईडी अधिकारियों को तलब कर चुके हैं। ईडी की ओर से दो बार पत्र में बताया गया कि उनके द्वारा उठाए गए कदम कानून के अनुरूप हैं।
बताते चलें कि ईडी ने नारद स्टिंग कांड में मंत्री सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम और विधायक मदन मित्रा तथा पूर्व मेयर शोभन चटर्जी के खिलाफ नोटिस जारी किया था। विधायकों के खिलाफ कार्रवाई से पहले यह जानने के लिए स्पीकर ने ईडी और सीबीआइ अधिकारियों को तलब किया कि उनसे अनुमति क्यों नहीं मांगी गई। ईडी सूत्रों के मुताबिक, सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी को प्राइमरी मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए स्पीकर की इजाजत की जरूरत नहीं है। इसलिए स्पीकर को इस मामले में दखल देने का अधिकार नहीं है।