Baghdadi death: बगदादी की मौत पर खुशियां मना रहीं नदिया की दो विधवाएं
इराक में 2014 में आइएस के हाथों मारे गए 39 मजदूरों में शामिल थे दोनों के पति-कहा-और भी निर्मम तरीके से की जानी चाहिए थी आइएस सरगना बगदादी की हत्या
कोलकाता, जागरण संवाददाता। दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) के सरगना अबू बकर अल-बगदादी की मौत पर बंगाल के नदिया जिले की दो विधवाएं खुशी मना रही हैं। ये वही महिलाएं हैं, जिनके पति की इराक में जून, 2014 में अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। कुल 39 मजदूरों का अपहरण किया गया था। चार साल बाद 2018 में मोसूल में उन सबकी सामूहिक कब्र पाई गई थी।
डीएनए टेस्ट से मृतकों की शिनाख्त हुई थी। उनमें से दो नदिया के वाशिंदा खोकन सिकदर और समर टीकादार थे। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास से दोनों के शव को भारत लाकर उनके परिजनों को सौंपा गया था। खोकन पेशे से राजमिस्त्री व समर बिजली मिस्त्री थे। नदिया जिले के तेहट्ट की रहने वाली खोकन की पत्नी नमिता सिकदर ने कहा-'मैंने टीवी पर बगदादी की मौत की खबर देखी। मैं बहुत खुश हूं। मेरे पति की अन्य 38 लोगों के साथ हत्या कर दी थी। इसके पीछे आइएस का हाथ था।
आइएस ने हजारों बेकसूर लोगों की हत्या की है। मैं खुश हूं कि दुनियाभर में आतंकी शिविरों को नष्ट किया जा रहा है। इससे भविष्य में बहुत से लोगों की जिंदगी बचेगी।' वहीं जिले के चापड़ा इलाके की रहने वाली दीपाली टीकादार ने कहा-'बगदादी की काफी पहले मार डाला जाना चाहिए था।
अगर ऐसा होता तो बहुत से लोगों की जान बच जाती। बगदादी की हत्या और नृशंस तरीके से होनी चाहिए थी क्योंकि उसने बहुत से लोगों की हत्या की थी।' दो बच्चों की मां दीपाली ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें सरकारी नौकरी देने का वादा किया था लेकिन चार साल बीत जाने पर भी नहीं मिली है। दो बच्चों की मां नमिता ने भी कहा कि उन्हें अब तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है।