भाजपा बोली- सुवेंदु को यौन उत्पीड़न में फंसाने की कोशिश, तृणमूल ने बताया-फिल्मी सीन, पुलिसकर्मी बोलीं- गलत नहीं
Nabanna March बंगाल में राज्य सचिवालय मार्च के दौरान महिला पुलिसकर्मी के सुवेंदु अधिकारी को हिरासत में लेने की कोशिश करने का मामला गरमाया हुआ है। भाजपा ने इसके पीछे सुवेंदु को यौन उत्पीड़न के मामले में फंसाने की कोशिश करने की साजिश बताई है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Nabanna March: भाजपा के राज्य सचिवालय मार्च के दौरान कोलकाता पुलिस की एक महिला सब-इंस्पेक्टर द्वारा भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी को हिरासत में लेने की कोशिश करने का मामला गरमा गया है। भाजपा का आरोप है कि कोलकाता पुलिस ने सुवेंदु अधिकारी को यौन उत्पीड़न के मामले में फंसाने की कोशिश करने के लिए महिला पुलिसकर्मियों को आगे किया था, जबकि सत्ताधारी दल तृणमूल ने इसकी तुलना फिल्म से की है। दूसरी तरफ महिला पुलिसकर्मियों का मानना है कि उनकी सहकर्मी क्रिस्टिना मेरी ने ऐसा करके कोई गलती नहीं की थी।
'डोंट टच मी, आइ एम ए मेल'
गौरतलब है कि क्रिस्टिना ने जब सुवेंदु को हिरासत में लेने के लिए उन्हें छूने की कोशिश की थी तो सुवेंदु ने चिल्लाते हुए कहा था-'डोंट टच मी। आइ एम ए मेल।' इसके बाद सुवेंदु ने क्रिस्टिना को पुरुष पुलिसकर्मियों को बुलाने को कहा था।
'बंगाल में ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई'
सुवेंदु ने सवाल किया था कि एक महिला पुलिसकर्मी उन्हें क्यों स्पर्श कर रही हैं? इस घटना पर बंगाल भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि महिला पुलिसकर्मियों से जरिए जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष को परेशान किया गया, ऐसी घटना बंगाल में पहले कभी नहीं हुई।
दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा यह तो बांग्ला फिल्म 'सप्तपदी' देखने जैसा है। गौरतलब है कि सप्तपदी में अभिनेत्री सुचित्रा सेन उत्तम कुमार को उन्हें छूने से मना करती हैं।
मामले में क्रिस्टिना से नहीं हो पाया संपर्क
क्रिस्टिना से संपर्क करने की कोशिश करने पर उनका मोबाइल बंद पाया गया। उनकी सहकर्मियों का कहना है कि शीर्ष अधिकारियों के निर्देश पर वह किसी से बात नहीं कर रही हैं इसीलिए उन्होंने अपना फोन बंद रखा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरी मैडम ने कोई गलती नहीं की थी।
क्या कहता है नियम?
कानून की रक्षा करने के मामले में नारी-पुरुष को अलग-अलग देखना सही नहीं है। नियमों के मुताबिक, किसी महिला के शरीर में पुरुष पुलिसकर्मी हाथ नहीं लगा सकते किंतु कानून में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि किसी पुरुष को हिरासत में लेने के लिए महिला पुलिसकर्मी आगे नहीं आ सकतीं।
क्या कहती हैं भाजपा नेत्री भारत घोष?
पूर्व आइपीएस अधिकारी व भाजपा नेत्री भारती घोष इससे इत्तेफाक नहीं रखतीं। वह कहती हैं, 'किसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यह जानने के लिए सबसे पहले यह समझना जरुरी है कि कानून क्यों तैयार किया गया था। जब महिला पुलिसकर्मियों का बल तैयार किया गया था, तब उसका उद्देश्य संकट में पड़ीं महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना था।'
भाजपा नेत्री ने कहा, 'दुष्कर्म पीड़िता का बयान लेने के मामले में उनकी सहूलियत के लिए महिला पुलिसकर्मियों को व्यवहार किया जाता है, लेकिन महिलाओं का बल तैयार करने से संबंधित नियमावली में कहीं लिखा नहीं है कि महिला पुलिसकर्मी से किसी पुरूष को प्रताड़ित कराया जा सकता है।'
'मंगलवार की परिस्थिति बिल्कुल अलग थी'
कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि कानून में कहीं नहीं लिखा है कि महिला पुलिसकर्मी किसी पुरुष आरोपित को हिरासत में नहीं ले सकती। इस पर भारती का कहना है कि कहीं किसी बात का उल्लेख नहीं होने का यह मतलब नहीं है कि वही कानून है। अगर ऐसी परिस्थिति है कि कोई पुरुष अपराधी भाग रहा है तो महिला पुलिसकर्मी उसे पकड़ सकती है लेकिन मंगलवार को परिस्थिति बिल्कुल अलग थी।
'नेता प्रतिपक्ष कोई अपराधी नहीं हैं'
भारती ने कहा, 'नेता प्रतिपक्ष कोई अपराधी नहीं हैं। उन्हें राजनीतिक कार्यसूची में भाग लेने से बाधा देने के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा वहां पर्याप्त संख्या में पुरुष पुलिसकर्मी मौजूद थे। इसके बावजूद महिला पुलिस कर्मियों को आगे किया गया। इसके पीछे दूसरा मकसद हो सकता है।'
महिला पुलिसकर्मियों को उन्हें नहीं छूना था'
उन्होंने कहा, 'महिला पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की स्थिति होने पर उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लग सकता था। उन्होंने इससे बचने के लिए ही महिला पुलिसकर्मी को उन्हें नहीं छूने को कहा था।'
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