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ईसाई पादरी की गिरफ्तारी के खिलाफ मदर टेरेसा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार समिति ने कोलकाता में निकाली रैली

समिति के पदाधिकारी ने कहा भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसी हस्ती की गिरफ्तारी निर्दयता को दिखाता है। यह रैली शारीरिक दूरी के सभी नियमों का अनुपालन करते हुए पार्क स्ट्रीट स्थित बिशप हाउस से शुरू हुई और आर्कबिशप हाउस के नजदीक मदर टेरेसा की मूर्ति के पास समाप्त हुई।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 09:21 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 09:21 PM (IST)
ईसाई पादरी की गिरफ्तारी के खिलाफ मदर टेरेसा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार समिति ने कोलकाता में निकाली रैली
ईसाई पादरी की गिरफ्तारी के खिलाफ शनिवार को कोलकाता में मदर टेरेसा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार समिति की ओर से निकली रैली।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा वयोवृद्ध आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता और ईसाई पादरी (जेशूइट) फादर स्टैन स्वामी की गिरफ्तारी के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के प्रति एकजुटता प्रकट करने के लिए मदर टेरेसा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार समिति ने शनिवार को कोलकाता में रैली निकाली। समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम करने वाली समिति के पदाधिकारी ने बताया कि फादर स्टैन स्वामी की तत्काल रिहाई को मांग को लेकर बंगाल में यह पहली रैली है।

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फादर स्टैन स्वामी को मुंबई ले गई एनआईए

उन्होंने बताया कि यह रैली शारीरिक दूरी के सभी नियमों का अनुपालन करते हुए पार्क स्ट्रीट स्थित बिशप हाउस से शुरू हुई और आर्कबिशप हाउस के नजदीक मदर टेरेसा की मूर्ति के पास समाप्त हुई। यह दूरी दो किमी से थोड़ी अधिक है। दरअसल, एनआइए ने वर्ष 2018 के भीमा कोरेगांव मामले में 82 वर्षीय ईसाई पादरी और झारखंड में आदिवासियों के अधिकारों के लिए सक्रिय फादर स्टैन स्वामी को आठ अक्टूबर को गिरफ्तार कर मुंबई ले गई।

राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के खिलाफ 

समिति से सबद्ध सेंट जेवियर विश्वविद्यालय के कुलपति फादर जॉन फेलिक्स राज ने कहा, ‘‘भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसी हस्ती की गिरफ्तारी निर्दयता को दिखाता है।’’ उन्होंने कहा कि स्टैन स्वामी झारखंड में आदिवासियों के उन्नयन के लिए काम कर रहे हैं और वह अमीर और ताकतवरों द्वारा राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के खिलाफ हैं।

23 अक्टूबर के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा 

फेलिक्स राज ने कहा, ‘‘स्टैन स्वामी के खिलाफ मामला दर्ज करना सदियों पुरानी बुजर्गों का सम्मान करने की परंपरा का भी उल्लंघन है। अगर एनआइए को उनकी जरूरत थी तो वह उन्हें नजरबंद कर सकती थी बजाय कि उनकी उम्र पर गौर किए बिना उन्हें मुंबई ले जाकर जेल में डालने के।’’ गौरतलब है कि अदालत ने स्टैन स्वामी को 23 अक्टूबर के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।


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