इस बार मानसून में नदियों के रास्ते तस्करी नहीं होगी आसान, बीएसएफ कमर कस कर तैयार
मानसून सीजन के दौरान हर साल बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा के बीच नदियों के रास्ते बड़ी संख्या में होने वाली पशुओं फेंसिडिल व अन्य सामानों की तस्करी इस बार आसान नहीं होगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : मानसून सीजन के दौरान हर साल बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा के बीच नदियों के रास्ते बड़ी संख्या में होने वाली पशुओं, फेंसिडिल व अन्य सामानों की तस्करी इस बार आसान नहीं होगी। बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने तस्करी को रोकने के लिए इस बार पहले से पुख्ता रणनीति बनाकर सभी जरूरी कदम उठाए हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगते दक्षिण बंगाल सीमांत के इलाके में पड़ने वाली सभी नदियों, जहां से होकर तस्करी होती रही है उन सभी इलाकों को चिन्हित कर वहां पहले से विशेष निगरानी रखी जा रही है। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के महानिरीक्षक योगेश बहादुर खुरानिया (आइपीएस) ने पिछले दिनों इसको लेकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की थी।
इसमें उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया था कि इस बार किसी भी हाल में मानसून सीजन में तस्करी की एक भी घटना उनके क्षेत्र में नहीं हो पाए। इसके मद्देनजर पिछले साल की ही तरह तस्करी पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए उन्होंने पुख्ता रणनीति बनाई और पूरे बॉर्डर इलाके में जवानों को पहले से हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया। इसके बाद बीएसएफ जवान तस्करों के मंसूबे विफल करने के लिए कमर कसकर तैयार हैं। बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी व वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि हमारे जवान पूरी तरह सतर्क व मुस्तैद हैं। इस बार भी तस्करी के हर प्रयास को विफल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए दक्षिण बंगाल के जिम्मेवारी में पड़ने वाली नदियां जिसमें गंगा, महाभंगा, पुनर्रभावा, सोनाई, इच्छामती आदि नदियों के जरिए तस्करी रोकने को खास तैयारी की गई है।दरअसल, हर साल मानसून के सीजन में जब इन नदियों में बारिश व बाढ़ के चलते पानी का बहाव तेज हो जाता है तो तस्करी की घटनाएं बढ़ जाती है।
खासकर पशु तस्कर सैकड़ों की संख्या में पशुओं को केले के स्तंभ या बांस के बेड़े से बांधकर पानी की धारा में बहा देते हैं और बांग्लादेश में प्रवेश कराने का प्रयास करते हैं। पिछले वर्ष पशु तस्करों ने सीमा सुरक्षा बल के जवानों को शारीरिक नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ पशुओं के शरीर पर सॉकेट बम भी बांध दिए थे। इसके अलावा केले के थम व बांस की लकड़ी के बीच में फेंसिडिल की बोतलों को छिपा कर तस्करी की कोशिश की जाती है। हालांकि तस्करों के तमाम प्रयासों को विफल करते हुए बीएसएफ के जवानों ने पूरी हिम्मत के साथ नियमित बोट पेट्रोलिंग आदि के माध्यम से पिछले साल ज्यादातर पशुओं को पकड़ने में सफलता हासिल की और तस्करों पर पूरी तरह नकेल कस कर रख दिया।
इधर, इस साल शुक्रवार को मानसून बंगाल में प्रवेश कर गया। इससे पहले बीएसएफ जवानों ने बीते 5 जून को इच्छामती नदी के रास्ते मृत पशुओं के शरीर में मछली के अंडों (फिशबॉल) को छिपाकर बांग्लादेश में की जा रही तस्करी को पकड़ा था। तस्करों ने मृत पशुओं को पानी की धारा में बहा दिया था ताकि वह बांग्लादेश पहुंच जाएगा और वहां तस्कर मृत पशुओं के शरीर से फिशबॉल को निकाल लेंगे। इसके 2 दिन बाद इच्छामती नदी से ही जवानों ने कद्दू (कुम्हर) के भीतर छिपा कर फेंसिडिल की तस्करी पकड़ी थी।
350 किलोमीटर नदियों से होकर गुजरता है दक्षिण बंगाल सीमांत का इलाका
बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर पर भारत और बांग्लादेश के बीच 913.324 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा के प्रबंधन का दायित्व है जो बंगाल के पांच सीमावर्ती जिलों- मालदा, मुर्शिदाबाद, नदिया एवं उत्तर व दक्षिण 24 परगना के अंतर्गत आता है। डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि इस बॉर्डर का लगभग 350 किलोमीटर इलाका नदियों से होकर गुजरता है जिसमें 110 किलोमीटर सुंदरबन का इलाका है। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर की जिम्मेदारी का क्षेत्र अपनी खासियत के कारण बेहद संवेदनशील और बहुत चुनौतीपूर्ण है।
यह सीमा कई विषम रास्तों से गुजरती है ऐसे में तस्कर भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाने की पूरी कोशिश करते हैं। इन सबके बीच तस्करों के नए-नए तरीकों से निपटना और सीमा पर तस्करी रोकना बीएसएफ के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है। हालांकि गुलेरिया ने कहा कि बीएसएफ के जवान हर स्थिति से निपटने में सक्षम हैं। बारिश हो या बाढ़ सर्दी हो या गर्मी हर सूरत में सीमा की सुरक्षा व ट्रांसबॉर्डर अपराधों को रोकने के लिए डटे रहते हैं। उन्होंने कहा कि मानसून के सीजन में जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने दावा किया कि इस बार भी तस्करों के हर मंसूबे को विफल किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2020 में पहले से भी अधिक सफलता मिलेगी।उल्लेखनीय है कि एक समय दक्षिण बंगाल सीमांत क्षेत्र से ही सबसे ज्यादा पशुओं की तस्करी होती थी। हालांकि निरंतर प्रयासों से दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के सीमा प्रहरियों ने पिछले साल पशु तस्करी को 100 फीसद रोकने में अभूतपूर्व सफलता पाई और पशु तस्करी के अवैध धंधे में शामिल लोगों की पूरी तरह कमर तोड़ कर रख दी।