तृणमूल के शहीद दिवस पर ममता की हुंकार, भाजपा को सत्ता से बेदखल करने तक जारी रहेगा 'खेला'
विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी की निगाहें अब दिल्ली पर है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ममता भाजपा की घेराबंदी करने के लिए विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुट गई हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद आत्मविश्वास से लबरेज मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी की निगाहें अब दिल्ली पर है।2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ममता भाजपा की घेराबंदी करने के लिए एक बार फिर अभी से विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुट गई हैं। बुधवार, 21 जुलाई को शहीद दिवस पर अपनी पार्टी टीएमसी के सबसे बड़े वार्षिक कार्यक्रम के मौके पर ममता ने भाजपा के खिलाफ सभी विपक्षी दलों से एकुजट होने व एक फ्रंट बनाने का आह्वान करते हुए भगवा दल को दिल्ली की गद्दी से हटाने की हुंकार भरीं।
अपने वर्चुअल संबोधन में ममता ने भाजपा पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि बंगाल की जनता ने धनबल व बाहुबल को नकारा दिया और मां- माटी- मानुष को चुना है। उन्होंने कहा कि भाजपा पूरी तरह तानाशाही पर आमादा है। देश में लोगों की आजादी व लोकतंत्र खतरे में है। भाजपा देश को अंधकार में ले गई है। ममता ने कहा कि अभी तो भाजपा को सिर्फ बंगाल से भगाया है, जब तक देश की सत्ता से उसे बेदखल नहीं करते तब तक 'खेला' जारी रहेगा। उन्होंने 16 अगस्त को हर साल 'खेला होबे दिवस' के रूप में मनाने की भी घोषणा की। दरअसल बंगाल चुनाव के दौरान ममता का 'खेला होबे' का नारा काफी लोकप्रिय हुआ था। ममता ने कहा कि बंगाल के बाद गुजरात, यूपी व अन्य राज्यों में भी खेला होगा। गुजरात और यूपी में अगले साल ही चुनाव होने हैं। ममता ने साथ ही गुजरात मॉडल को खारिज करते हुए कहा कि गुजरात नहीं, बंगाल स्टेट मॉडल है।
'जासूसी पर खर्च किया जा रहा देश का पैसा'
ममता ने पेगासस जासूसी विवाद को लेकर भी मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार पेगासस के जरिए फोन टैप करा रही है। जासूसी के लिए देश का पैसा खर्च किया जा रहा है।विपक्षी नेताओं ही नहीं केंद्रीय मंत्रियों व जजों तक को नहीं छोड़ा जा रहा है।हालांकि उन्होंने कहा कि इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। ममता ने दावा किया कि उनके भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर का फोन भी टैप किया गया। साथ ही आशंका जताई कि मेरी भी फोन टैपिंग हुई होगी।
'गंगा में तैरती लाशें सबने देखीं'
ममता ने आगे कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में देश ने गंगा में तैरती लाशें देखी है। ऑक्सीजन की कमी के चलते बहुत से लोगों की मौत हुई है और केंद्र सरकार कहती है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सिर्फ बयानबाजी कर रहा है तीसरी लहर की भी कोई तैयारी नहीं की है।
बंगाल में चुनाव बाद नहीं हुई हिंसा
ममता ने बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के आरोपों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा के कुछ सदस्य मानवाधिकार संगठन के सदस्य हैं। उन्होंने गलत रिपोर्ट दी है। चुनाव के बाद कोई हिंसा नहीं हुई।
पहली बार बंगाल के बाहर ममता के भाषण का किया गया प्रसारण, विपक्षी दलों के नेता भी हुए एकजुट
गौरतलब है कि यह पहली बार है जब शहीद दिवस पर ममता के भाषण का बंगाल के बाहर कई राज्यों में सीधा प्रसारण किया गया। दिल्ली समेत गुजरात, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, त्रिपुरा व तमिलनाडु में एलईडी स्क्रीन पर इसका प्रसारण किया गया।वर्चुअल प्रसारण के अवसर पर दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस नेता पी चिदंबरम, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव व जया बच्चन, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा सहित सभी प्रमुख भाजपा विरोधी नेता एकजुट हुए थे। गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब ममता ने भाजपा विरोधी नेताओं को एकजुट करने की पहल की है। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जनवरी में ममता ने कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में 23 विपक्षी दलों के नेताओं को लेकर महारैली की थी। लेकिन इसका भी कोई लाभ नहीं हुआ था। बता दें कि टीएमसी 1993 में कोलकाता में युवा कांग्रेस की रैली में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए 13 कार्यकर्ताओं की याद में शहीद दिवस मनाती है।