West Bengal :14 साल से लापता महिला को मिला उसका घर, उसके बच्चे बड़े हो चुके हैं और वह नानी बन चुकी है
14 साल बाद गीता सरकार अपनी मां और पिता को एक वीडियो कॉल पर देखकर अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकी। उसने अपनी बहन और बहनोई को भी पहचान लिया। गीता के बेटे और बेटियां भी बड़े हो चुके हैं। उनकी बेटी भी बच्चे की मां बनी
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। नियति व्यक्ति को कहां से कहा ले जाती है। 14 साल पहले अपने घर से बाहर निकली थी फिर वापस नहीं लौटी। मानसिक रूप से बीमार गीता फूलबागान थाने तथा एनजीओ की मदद से अपने घर लौट सकी है। उसे नहीं मालूम कि उसके बच्चे बड़े हो चुके हैं और वह नानी बन चुकी है। फिलहाल वह दीदी के घर पर न्यूटाउन में है। नवंबर के अंत में उसे अपने माता-पिता के पास पहुंचा दिया जाएगा। वह 2006 में लापता गीता सरकार 2020 में अपने घर लौट रही है।
मां और पिता को वीडियो कॉल पर देखकर अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकी
14 साल बाद, गीता सरकार अपनी मां और पिता को एक वीडियो कॉल पर देखकर अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकी। उसने अपनी बहन और बहनोई को भी पहचान लिया। गीता के बेटे और बेटियां भी बड़े हो चुके हैं। उनकी बेटी भी बच्चे की मां बनी। लेकिन समय के साथ-साथ महिला कहां या किस हालत में थी, कुछ भी याद नहीं।
उसे पिछले साल मार्च में फूलबागान पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारियों ने बचाया था। फिर उन्होंने इसे एनजीओ को सौंप दिया। गीता के परिवार की तलाश शुरू हुई । एनजीओ की एक अधिकारी भारती आईच और पूर्व कोलकाता के फूलबागान और मालदह के बामनगोला पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने आखिरकार गीता के घर का पता लगा लिया।14 साल बाद खो गई गीता सरकार को उनके परिवार को सौंप दिया गया।
महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गीता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए उसका इलाज भी मानसिक अस्पताल करवाया गया। भारती के अनुसार, गीता कभी बेंगलुरु, कभी सिलीगुड़ी, कभी मुर्शिदाबाद और कभी बांग्लादेश के कुछ गांवों का भी उल्लेख करती रही जिससे उसका पता लगाना मुश्किल था। अंत में उसने जिन स्थानों का उल्लेख किया, उनका नाम खोज निकाला गया। स्कूलों, खेतों, मंदिरों और कुछ उल्लेखनीय वस्तुओं की तस्वीरें दिखा।
एक स्कूल देखते ही कहा- वह वहां पढ़ती थी
कुछ स्थानों को भी वह पहचान सकी। अचानक एक दिन मालदह के बामनगोला थाने के छतिया इलाके में एक स्कूल देखते ही उसने कहा कि वह वहां पढ़ती थी। गीता ने क्षेत्र के कुछ और चित्रों को देखकर उस स्थान की पहचान की। फूलबागान पुलिस स्टेशन को उसी के अनुसार सूचित किया गया। फूलबागान पुलिस स्टेशन ने मालदह के बामनगोला पुलिस स्टेशन को महिला की तस्वीर और विवरण दिया। बामनगोला पुलिस अधिकारियों ने क्षेत्र की पंचायत और निवासियों के माध्यम से महिला की पहचान की पुष्टि की।
पुलिस स्टेशन के एक स्वयंसेवक को छठिया निवासी बलहारी मधुर के घर भेजा गया। पता चला कि उनकी बेटी लंबे समय से गायब है। गीता की बहन और बहनोई न्यूटाउन में रहते हैं। उन्हें भी मामले की जानकारी दी गई। गीता को मोबाइल स्क्रीन के सामने रखकर एक वीडियो कॉल किया गया। दूसरी तरफ उसके माता-पिता थे। उसने सभी सको पहचान लिया। न्यूटाउन में गीता की बहन कल्पना बाला और बहनोई गणेश बाला के यहां है। उन लोगों ने बताया कि गीता 21 जून 2006 को लापता थी।
विवाह के बाद से अमानवीय यातना का शिकार होना पड़ा
विवाह के बाद से उसे अमानवीय यातना का शिकार होना पड़ा। पति के दुर्व्यवहार के परिणामस्वरूप, वह अपनी पांच वर्षीय बेटी और तीन साल के बेटे के साथ अपने पिता के घर आ गई। लेकिन उसके पिता के यहां गरीबी थी। इसलिए एक किसान के घर में काम करते हुए गीता ने रोजाना खाना और 30 रुपे में काम शुरू किया। वह किसान के पास पैसे लाने निकली थी फिर घर नहीं लौटी। गीता को याद नहीं है कि वह खुद कहीं गई थी या उसकी तस्करी हुई थी। उसके पति ने दूसरी शादी कर ली। गीता को 28 नवंबर को मालदह में उसके माता-पिता के पास ले जाया जाएगा।