लॉकडाउन खत्म होते ही जोरदार वापसी कर सकती हैं कई बीमारियां, जानें क्या कहते हैं विशेेषज्ञ?
लॉकडाउन चरणबद्ध तरीके से खत्म हो रहा है नतीजतन कई बीमारियां जोरदार तरीके से वापसी कर सकती हैं। अस्थमा हृदयाघात और स्ट्रोक के मामले बढ़ने की सबसे ज्यादा आशंका है।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : लॉकडाउन चरणबद्ध तरीके से खत्म हो रहा है, नतीजतन कई बीमारियां जोरदार तरीके से वापसी कर सकती हैं। अस्थमा, हृदयाघात और स्ट्रोक के मामले बढ़ने की सबसे ज्यादा आशंका है। कोरोना से इतर अन्य तरह की संक्रामक बीमारियां भी फैल सकती हैं। डॉक्टर ऐसे समय बेहद सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों की खास देखभाल की जरुरत है।
फोर्टिस हॉस्पिटल आनंदपुर के इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट की प्रमुख डॉ. संजुक्ता दत्ता ने बताया-'लॉकडाउन की बदौलत देश-दुनिया में वायु प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। कोलकाता के लोगों ने भी लंबे अरसे बाद ताजी हवा में सांस ली। वे पहले से ज्यादा स्वस्थ और रोग-मुक्त हो गए । अस्थमा और सीओपीडी जैसी फेफड़े की बीमारियों के मरीज सबसे ज्यादा लाभान्वित हुए। बहुतों को अब ऑक्सीजन और नेबुलाइजेशन की भी जरुरत नहीं पड़ रही। हृदयाघात और स्ट्रोक में मामले भी बेहद कम हो गए हैं।
हाइपरटेंशन के ढेरों मरीजों का रक्तचाप सामान्य हो गया है।' डॉ. दत्ता ने आगे कहा-'शारीरक दूरी बनाने और बाहर का खाना नहीं खाने से कई तरह की संक्रामक बीमारियां भी कम हो गई हैं। चिकन पॉक्स व निमोनिया जैसी वायु वाहित बीमारियां और टायफायड, हेपाटाइटिस, डायरिया और पीलिया जैसी भोजन व जल वाहित बीमारियां तो मानों गायब सी हो गई हैं। बच्चों को एलर्जी, सांस लेने में दिक्कत बार-बार होने वाला इंफेक्शन नहीं हो रहा । बुजुर्गों की सेहत भी पहले से काफी अच्छी हो गई है।'
डॉ. दत्ता ने आगाह करते हुए कहा-'अब जब लॉकडाउन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और सड़कों पर वाहनों की संख्या फिर से बढ़ने लगी है तो हवा में दोबारा जहरीला धुंआ फैलना शुरू हो गया है। उद्योग-धंधे भी जल्द शुरू हो जाएंगे। कल-कारखानों की चिमनियों से फिर प्रदूषण फैलेगा। बेतरतीब व अव्यवस्थित निर्माण कार्य से उत्पन्न होने वाले घातक कण भी हवा को प्रदूषित करेंगे।
सुपर साइक्लोन एम्फन पहले ही कोलकाता की हरियाली को काफी क्षति पहुंचा चुका है, ऐसे में बेहद सावधान रहने की जरुरत है, वरना हमें लॉकडाउन से पहले वाली अवस्था में पहुंचने में देर नहीं लगेगी। अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को फिर से सांस लेने में दिक्कत होने लगेगी। उन्हें दिन में कई बार नेबुलाइजर का इस्तेमाल करना पड़ सकता है।हृदयाघात, स्ट्रोक, संक्रामक बीमारियां और एलर्जिक रिएक्शन के मामले दोबारा बढ़ जाएंगे। दुर्भाग्य से भारत दुनिया में फेफड़ों की बीमारियों और इनसे होने वाली मौतों के मामले में शीर्ष पर है।'