कोलकाता की कैब चालक मानसी मृधा महिला कैब चालकों के हक के लिए लड़ाई लड़ रही हैं
कोलकाता की कैब चालक मानसी मृधा शहर में महिलाओं के लिए अलग पार्किग जोन बनाने व उनके हक की लड़ाई लड़ रही हैं।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। पेट की आग बुझाने की मजबूरी ने ही कैब चालक बनने के लिए बाध्य किया। लेकिन समस्या है कि पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं लेती। घर से निकलने के बाद से लेकर कार पार्किग करने तक हर जगह किसी न किसी समस्या का सामना करना ही पड़ता है। यह कहना है कोलकाता की कैब चालक मानसी मृधा की, जो शहर में महिलाओं के लिए अलग पार्किग जोन बनाने व उनके हक की लड़ाई लड़ रही हैं।
पारंपरिक अवधारणा को तोड़ते हुए अधिक से अधिक महिलाओं को इस पेशे से जुड़ने का आह्वान करती हैं। ताकि महिलाएं भी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकें। मानसी बताती हैं कि एक चालक के तौर पर उन्हें शहर की सड़कों पर हर जगह समस्याओं का सामना करना पड़ता रहा है।
कभी यात्री की आत्मनिरीक्षण की दृष्टि तो कभी पुरुष कैब चालक सहकर्मी के असहयोग के रवैये से दुख होता है। यही नहीं महिला चालक होने की वजह से उनका मजाक भी बनाया जाता है। इन सब के बीच मौजूदा समय में सबसे बड़ी समस्या पार्किग को लेकर है। जहां उन्हें पुरुष सहकर्मियों के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता था।
वह आगे बताती हैं शुरू में विरोध करने से डर लगता था, लेकिन अब स्थिति को समझ गई हैं। पुरुषों के बीच एक महिला कार चालक के होने से उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचता हैं। इसलिए वे कभी महिलाओं को सहकर्मी के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं और न ही उनसे प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहते हैं। इसलिए मैं चाहती हूं कि पुरुषों की तरह महिला चालकों के लिए भी पार्किग की व्यवस्था की जाए।