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पश्चिम बंगाल: आयुध फैक्ट्री के कारपोरेटाइजेशन पर ममता ने मोदी को लिखा पत्र

मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आयुध फैक्ट्री के कारपोरेटाइजेशन व निजीकरण मामले पर चिट्ठी लिखी है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 10:12 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 10:12 AM (IST)
पश्चिम बंगाल: आयुध फैक्ट्री के कारपोरेटाइजेशन पर ममता ने मोदी को लिखा पत्र
पश्चिम बंगाल: आयुध फैक्ट्री के कारपोरेटाइजेशन पर ममता ने मोदी को लिखा पत्र

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आयुध फैक्ट्री के कारपोरेटाइजेशन व निजीकरण मामले पर चिट्ठी लिखी है। ममता ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के व्यापारीकरण पर चिंता जाहिर करते हुए पीएम मोदी से अपील की है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर इसपर खास ध्यान दिया जाए और निजी निवेश कम किया जाए।

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ममता ने अपनी चिट्ठी में कोलकाता के आयुध भवन व आयुध बोर्ड का भी जिक्र किया है। उन्होंने हैरानी जताई है कि रक्षा विभाग में आयुध निर्माण के लिए महत्वपूर्ण इस फैक्ट्री में भी निजी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है।

उन्होंने लिखा-'मुझे इस फैसले के बारे में रिपोर्ट मिली है कि सरकार ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड सहित सभी आयुध कारखानों का व्यापारीकरण करने जा रही है। मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में इस प्रक्रिया को रोकें और निर्णय को बदल दें।

उन्होंने कहा कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है, की स्थापना देश के सशस्त्र बलों के लिए हथियार और गोला-बारूद के निर्माण के लिए सरकार ने की थी। मैं हैरान हूं कि इस फैसले को लेकर किसी भी हिस्सेदार को विश्वास में नहीं लिया गया। यहां तक कि पश्चिम बंगाल सरकार को भी भनक नहीं लगी।'

ममता ने आगे लिखा-'हमारे देश की औद्योगिक नीति को धीरे-धीरे निजी क्षेत्र के अधिक अनुकूल बना दिया गया है। कुछ प्रमुख और रणनीतिक क्षेत्र हैं जहां राज्य को सर्वोपरि भूमिका निभानी होती है।

ऑडिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के कर्मचारी देशभर में आयुध कारखानों के कारपोरेटाइजेशन और निजीकरण के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। कोलकाता में भी सोमवार को विरोध-प्रदर्शन किया गया। पूरे देश में रक्षा मंत्रालय के तहत 41 आयुध कारखाने हैं। इन इकाइयों में सेना से संबंधित लगभग 675 उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इनमें से लगभग 90 फीसद सेना को आपूर्ति की जाती है जबकि शेष 10 फीसद की अन्य बलों को आपूर्ति होती है।


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