Farmers Protest : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आंदोलनरत किसानों से फोन पर की बात, पूरा समर्थन का किया वादा
सियासत-तृणमूल सुप्रीमो ने फिर केंद्र से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। ममता के निर्देश पर तृणमूल सांसद ने सिंघु बॉर्डर पर पहुंचकर किसानों से भी मुलाकात की। एकजुटता दिखाने के लिए राज्यसभा में तृणमूल के नेता डेरेक ओ ब्रायन को किसानों के साथ मुलाकात करने भी भेजा।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी अब किसान आंदोलन के बहाने अपनी सियासी रोटी सेकने में जुट गई है। शुक्रवार को उन्होंने दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर मौजूद कुछ किसानों को कॉल कर फोन पर बात की और उन्हें अपना पूरा समर्थन का वादा किया। ममता ने एकजुटता दिखाते हुए किसानों की उस मांग से सहमति जताई जिसके तहत वो तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं ममता ने एकजुटता दिखाने के लिए राज्यसभा में तृणमूल के नेता डेरेक ओ ब्रायन को किसानों के साथ मुलाकात करने के लिए भी भेजा। इसके बाद तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने दोपहर में सिंघु बॉर्डर पर पहुंचकर किसानों से मुलाकात की।
कानून को वापस लेने के लिए हो रहे इस आंदोलन के पक्ष में खड़ी रहेगी
तृणमूल सांसद ने यहां पर करीब चार घंटों तक कई किसान संगठनों से मुलाकात की। वहीं, ममता ने पंजाब और हरियाणा के विभिन्न किसान संगठनों से बातचीत की। किसानों ने अपनी मांग से मुख्यमंत्री को अवगत कराया और एकजुटता दिखाने के लिए उनका धन्यवाद किया। ममता ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसान विरोधी कानून को वापस लेने के लिए हो रहे इस आंदोलन के पक्ष में खड़ी रहेगी।
4 दिसंबर 2006 को कोलकाता में 26 दिन की भूख हड़ताल शुरू की थी
ममता ने शुक्रवार को अपने ट्वीट में लिखा, "14 साल पहले 4 दिसंबर 2006 को, मैंने कोलकाता में 26 दिन की भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसमें मांग की गई थी कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। मैं उन सभी किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करती हूं जो केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।"
कृषि कानूनों को लेकर क्षेत्रीय दलों को भी गोलबंद करने में जुटी ममता
दूसरी ओर, बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से मिल रही कड़ी चुनौती के बीच ममता कृषि कानूनों के खिलाफ क्षेत्रीय दलों को गोलबंद करने में जुट गई है। सूत्रों के मुताबिक, ममता इस मुद्दे पर अकाली दल, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी और बीजू जनता दल के साथ संपर्क बना रही है। इन दलों को साथ लेकर वह किसानों के मुद्दे पर जोरदार आंदोलन चलाने की तैयारी कर रही हैं।