ममता ने नीतीश को नहीं दी बधाई, पहले दो बार नीतीश के शपथ ग्रहण में शामिल हुई थी
इससे पहले नवंबर 2015 में महागठबंधन के नेता के तौर पर नीतीश ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो ममता पटना जाकर उसमें शामिल हुई थी।
कोलकाता, [राज्य ब्यूरो] । पिछले करीब ढाई वर्षो में दो बार नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में पटना जाकर शिरकत करने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी इस बार शपथ में शामिल होना तो दूर नीतीश को बधाई देने तक में परहेज की।
आमतौर पर सोशल मीडिया पर हर मुद्दे पर राय रखने व किसी बड़े राजनेता के जन्मदिन या पुण्यतिथि पर बधाई देने या उन्हें याद करने में आगे रहने वाली ममता ने गुरुवार को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नीतीश कुमार को ट्वीटर के जरिये भी बधाई नहीं दी।
ममता के इस रूख से साफ स्पष्ट है कि वह महागठबंधन से अचानक रिश्ता तोड़ भाजपा के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के कदम से बेहद खफा हैं। भाजपा व केंद्र सरकार के खिलाफ हमेशा मुखर रहने वाली ममता को नीतीश द्वारा भाजपा के साथ मिलकर फिर से बिहार में सरकार बना लेने का फैसला किसी भी सूरत में गले से उतर नहीं रहा। हफ्ते भर पहले ही बीते 21 जुलाई को कोलकाता में शहीद दिवस रैली में ममता ने 'भाजपा भारत छोड़ों' का नारा देते हुए भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विपक्षी गठबंधन की वकालत की थी।
इस दौरान उन्होंने लालू, नीतीश, अखिलेश यादव का नाम लेते हुए कांग्रेस की अगुवाई में गठबंधन की बात कही थी। लेकिन, महज एक हफ्ते में ही नीतीश ने इसकी हवा निकालते हुए भाजपा संग फिर सरकार बना ली। ऐसे में ममता का नाराज होना लाजिमी है।
इससे पहले नवंबर 2015 में महागठबंधन के नेता के तौर पर नीतीश ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो ममता पटना जाकर उसमें शामिल हुई थी। उससे पहले जितन राम मांझी के इस्तीफे के बाद 22 फरवरी 2015 को नीतीश ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो उस समय भी ममता उसमें शामिल हुई थी।
लेकिन इस बार महज 24 घंटे से भी कम समय के अंदर बिहार में महागठबंधन से टूटकर जेडीयू-भाजपा की सरकार बन गई। शायद इतना कम वक्त मिला कि नीतीश ने इस बार औपचारिक तौर पर ममता को शपथ समारोह में शामिल होने का न्योता भी नहीं दिए होंगे। वहीं ममता भी नीतीश से दूरी बनाए रखीं।
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