पेगासस फोन टैपिंग मामले में ममता बनर्जी का बड़ा फैसला, दो पूर्व जज की अध्यक्षता में जांच आयोग का किया गठन
दिल्ली रवाना होने से पहले ममता ने किया बड़ा एलानसुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के दो पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन। ममता ने कहा कि पेगासस के नाम पर न्यायालय से लेकर सभी को नजरबंदी करके रखा है। उन्हें विश्वास था कि केंद्र सरकार जांच कराएगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कथित पेगासस जासूसी मामले में जारी सियासत के बीच ममता बनर्जी की अगुवाई वाली बंगाल की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार ने अब बड़ा कदम उठाते हुए इजराइली स्पाइवेयर के जरिए नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी कराए जाने आरोपों की पड़ताल के लिए दो सदस्यीय जांच आयोग गठित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को इसकी घोषणा की।
चार दिवसीय दौरे पर दिल्ली रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल (कैबिनेट) की विशेष बैठक में जांच आयोग (पैनल) गठित करने का फैसला लिया गया, जिसके सदस्य सुप्रीम कोर्ट एवं कलकत्ता हाई कोर्ट के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। बैठक के बाद राज्य सचिवालय नवान्न में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ममता ने कहा, ‘‘हमें लगा था कि फोन हैक किए जाने की जांच के लिए केंद्र कोई जांच आयोग गठित करेगा या अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाएगा, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही... इसलिए हमने बाध्य होकर इस मामले की पड़ताल के लिए ‘‘जांच आयोग’’ गठित करने का फैसला किया है।’’ कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर इस आयोग के सदस्य हैं।
गौरतलब है कि बंगाल पहला राज्य है, जहां इस मामले में जांच आयोग का गठन किया गया है। ममता ने कहा, ‘‘पेगासस के जरिए जिन लोगों को निशाना बनाया गया है, उनमें बंगाल के लोगों के भी नाम सामने आए हैं। केंद्र सबकी जासूसी करने की कोशिश कर रहा है। आयोग अवैध रूप से फोन हैक करने के मामले संबंधी पूरी जानकारी का पता लगाएगा।’’ दिल्ली रवाना होने से पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। ममता ने कहा कि पेगासस के जरिए न्यायालय से लेकर सभी को नजरबंदी करके रखा है। उन्होंने दावा किया कि हमारे फोन भी टैप किए जा रहे हैं। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल नेताओं, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए किया गया था, जिसके बाद देश और दुनिया भर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
ममता ने सुप्रीम कोर्ट से भी संज्ञान लेने का किया था अनुरोध
बता दें कि इसके पहले ममता ने सुप्रीम कोर्ट से भी अनुरोध किया था कि वह पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके निशाना बनाने वाले कथित जासूसी प्रकरण का संज्ञान ले। इतना ही नहीं यह प्रकरण सामने आने के बाद ममता ने अपने फोन के कैमरे पर मोदी सरकार द्वारा कथित जासूसी के विरोध में हाल में टेप भी चिपका दिया था। दरअसल ममता व उनकी पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी (ममता के भतीजे) और प्रशांत किशोर (चुनाव रणनीतिकार) की कथित जासूसी को लेकर हमलावर हैं। तृणमूल पेगासस के मुद्दे पर लगातार भाजपा सरकार पर हमला बोल रही है और पार्टी के सांसद लगातार सदन में भी प्रदर्शन कर रहे हैं।