नक्सल प्रभावित क्षेत्र के केंद्रीय फंड में कटौती से ममता क्षुब्ध
माओवादी प्रभावित इलाकों के विकास के लिए मिलने वाली केंद्रीय फंड में कटौती से ममता सरकार क्षुब्ध हैं। बंगाल सरकार ने कहा है कि वह उक्त राशि भी नहीं लेगी।
कोलकाता, [जागरण संवाददाता] । माओवादी प्रभावित इलाकों के विकास के लिए मिलने वाली केंद्रीय फंड में कटौती से ममता सरकार क्षुब्ध हैं। नए फैसले के तहत अब नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास के लिए प्रति जिलों को 25-25 करोड़ नहीं बल्कि सिर्फ 1-1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इस से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी क्षुब्ध हैं। बंगाल सरकार ने साफ कह दिया है कि वह उक्त राशि भी नहीं लेगी।
केंद्र ने पत्र लिखकर राज्य को फंड में कटौती की जानकारी दी है। इधर केंद्र के इस निर्णय पर राज्य सचिवालय ने कड़ा ऐतराज जताते हुए उक्त पांच जिलों के लिए मिलने वाले पांच करोड़ रुपये भी स्वीकारने से इन्कार दिया है। माओवादी प्रभावित इलाकों में विकास कार्यो के लिए केंद्र सरकार, प्रति जिला 25 करोड़ रुपये देती रही है, लेकिन इस बार केंद्र ने बंगाल को मिलने वाली उक्त मदद राशि में भारी कटौती करने का फैसला किया है।
माओवादी प्रभावित जिलों, पुरुलिया, बांकुड़ा, बीरभूम, झाडग्राम व पश्चिम मेदिनीपुर को 25 करोड़ के हिसाब से इस साल केंद्र सरकार को 125 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद भेजनी थी। पिछले साल 125 करोड रुपये मिले थे। जबकि इस बार केंद्र ने इस मद में कटौती करते हुए केवल पांच करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। माओवादी प्रभावित जिलों में विकास कार्यो के संचालन में केंद्र व राज्य सरकार की क्रमश: 60 और 40 फीसद की संयुक्त हिस्सेदारी समाहित होती है।
पिछड़े इलाकों के विकास हेतु केंद्र के एक नए कदम ने राज्य सरकार को और नाराज कर दिया है। देश के 115 पिछड़े जिलों की एक सूची बनाई गई है, जिनके विकास के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया जाएगा। इनमें राज्य के बीरभूम, मालदा, मुर्शिदाबाद, नदिया व दक्षिण दिनाजपुर जिलें शामिल हैं। इन योजनाओं को पूरा करने की जिम्मेवारी दिल्ली से नियुक्त मॉनिट¨रग अफसरों पर होगी, जो जिलों में स्वतंत्र रूप से काम करेंगे।
नक्सली क्षेत्र में सौर ऊर्जा की अनोखी जल परियोजना
सालबोनी पंचायत समिति ने विकास को परिभाषित करने वाली एक योजना के तहत जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सौर ऊर्जा चालित पेय जल प्रोजेक्ट और कृषि के लिए सौर ऊर्जा छिड़काव परियोजना पर काम शुरू किया है। इस योजना के तहत आठ गांवों में लगभग आठ पेयजल परियोजनाएं स्थापित की गई हैं। वहीं कृषि भूमि में पानी की आपूर्ति के लिए क्षेत्र के दो तालाबों में दो सौर ऊर्जा चालित छिड़काव परियोजनाएं स्थापित की गई हैं। इससे स्थानीय किसान बहुत खुश हैं।
जहां क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में सूखे का प्रभाव हैं वहां इस तरह की योजना को मूर्त रूप देना किसानों के लिए सुख्रद है। बिना किसी बिजली के पानी मिलने से ग्रामीणों में खुशी है। किसी को पानी और पंप के लिए पैसा नहीं देना पड़ता है। पंचायत अब पश्चिम मेदिनीपुर के हर ब्लाक और गांव में इस प्रकार की सौर ऊर्जा चालित जल परियोजना की शुरूआत करना चाहती है। पंचायत समिति के सदस्य नेपाल सिंह ने कहा कि वह हर गांव में इस तरह की परियोजना को स्थापित करने के लिए तैयार हैं। एक स्थानीय निवासी मिथुन महतो ने परियोजनाओं के बारे में कहा कि यह अनोखी योजना है दो किसानों के लिए बहुत उपयोगी है।