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यहां निपाह वायरस के आतंक से इस बार आम व लीची खाने से डर रहे लोग

निपाह वायरस के आतंक से मालदा के फल व्यवसायी, खासकर आम व लीची व्यवसायी को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। मालदा का आम पड़ोसी देश सहित विदेशों में भी निर्यात होता था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 13 Jun 2018 02:40 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2018 04:20 PM (IST)
यहां निपाह वायरस के आतंक से इस बार आम व लीची खाने से डर रहे लोग
यहां निपाह वायरस के आतंक से इस बार आम व लीची खाने से डर रहे लोग

मालदा, जेएनएन। निपाह वायरस के आतंक से मालदा के फल व्यवसायी, खासकर आम व लीची व्यवसायी को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। मालदा का आम पड़ोसी देश सहित विदेशों में भी निर्यात होता था। लेकिन इस वायरस के आतंक से लोग आम खाने से कतरा रहे है।

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आम व लीची व्यवसायी की समस्या को लेकर मंगलवार को कांग्रेस के दो सांसद मोसन बेनजीर नूर और आबु हासेम खान चौधरी जिला से मिले। जिलाधिकारी के साथ हुई बैठक के संबंध में उन्होंने कहा कि निपाह वायरस को लेकर इस तरह से प्रचार किया जा रहा है, जिसके कारण आम व लीची व्यवसायी को काफी क्षति हो रही है।

मालदा आम की मांग विदेश तो दूर अपने देश में नहीं हो रही है। पहली बार जिले में आम को लेकर इस तरह की स्थिति आई है। प्रशासन को इस पर विचार करके, इसका हल ढूंढना चाहिए। 

चमगादड़ खाए फल से भी फैलता है बीमारी

निपाह वायरस का प्रकोप बंगाल में भी फैल सकता है। अभी तक 10 की मौत बन चुका यह खतरनाक वायरस पहले भी बंगाल में कई लोगों की जिंदगी ले चुका है। केरल को अपनी चपेट में लेने वाले निपाह वायरस का प्रकोप बंगाल में भी फैल सकता है। अभी तक 10 लोगों की मौत का कारण बन चुका यह खतरनाक वायरस पहले भी बंगाल में कई लोगों की जिंदगी ले चुका है।

राज्य के डॉक्टरों और वाइरॉलजी विशेषज्ञ लगातार प्रशासन और जनता से सतर्क रहने की अपील कर रहे हैं। नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के सेवानिवृत्त डॉक्टर एनबी देबनाथ ने कहा, निपाह वायरस हमारे प्रदेश में पहले से ही मौजूद है। यह संक्रामक और प्राणघातक है। गर्मी के इस मौसम में फल बहुत होते हैं और यह वायरस चमगादड़ों के खाए फलों से फैलता है। इसलिए सभी को सावधान रहने की जरूरत है।

बंगाल में वर्ष 2001 में एक अनजान बीमारी की वजह से 45 लोगों की जान चली गई थी। उस वक्त पुणे के नेशनल इंस्टिच्यूट ऑफ वाइरॉलजी ने अचानक से तबीयत खराब होने की वजह निपाह वायरस को करार दिया था। इसी तरह 2007 में भी नादिया जिले में इस वायरस की वजह से 5 लोगों की मौत हो गई थी।

बांग्लादेश में 2011 में इस बीमारी ने 100 से भी अधिक लोगों की जीवनलीला समाप्त कर दी थी। उस वक्त उत्तरी बंगाल के कई जिलों में भी इस विषाणु का प्रकोप देखने को मिला था।

गौरतलब है कि केरल सरकार ने पुष्टि की है कि निपाह विषाणु के कारण उत्तरी केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में अब तक 10 लोगों की मौत हुई है और अस्पताल में विषाणु संबंधी बीमारी का उपचार करा रहे दो मरीजों की हालत गंभीर बताई गई है।

बता दें कि निपाह वायरस चमगादड़ों से फैलता है। इससे जानवर और इंसान दोनों प्रभावित होते हैं। इस वायरस से कुछ ही सप्ताह के भीतर पीरमबाड़ा में दो भाइयों और उनकी एक रिश्तेदार की मौत हुई है, जबकि आठ अन्य लोग चिकित्सा निगरानी में हैं। संक्रमित चमगादड़ों, सूअरों और एनआईवी से ग्रस्त लोगों के साथ सीधे तौर पर संपर्क में आने से एनआईवी फैल रहा है।


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