मकर संक्रांति पर गंगासागर में गोदान पर दिखा भारी असर, बिहार से महज 10 प्रतिशत पंडित ही पहुंचे
बिहार के सोनपुर से आए गुड्डू बाबा ने बताया- हर साल हमारी 50 पंडितों की टीम गंगासागर आती थी लेकिन कोरोना के कारण इस बार 18 लोग ही आ पाए। यहां आकर निराशा ही हुई। तीर्थयात्रियों की संख्या इस बार एक तिहाई से भी कम है।
विशाल श्रेष्ठ, गंगासागर : मकर संक्रांति पर गंगासागर में होने वाले गोदान पर इस बार कोरोना का भारी असर दिखा। गोदान कराने बिहार से महज 10 प्रतिशत पंडित ही पहुंचे। तीर्थयात्रियों की संख्या भी बेहद कम होने के कारण गोदान बहुत कम हुआ। बिहार के सोनपुर से आए गुड्डू बाबा ने बताया-' हर साल हमारी 50 पंडितों की टीम गंगासागर आती थी लेकिन कोरोना के कारण इस बार 18 लोग ही आ पाए। यहां आकर निराशा ही हुई। तीर्थयात्रियों की संख्या इस बार एक तिहाई से भी कम है। मुश्किल से गोदान कराने वाले मिले।'
पिछले 15 वर्षों से गंगासागर आ रहे गुड्डू बाबा ने आगे कहा-' मैंने 2.000 रुपये देकर स्थानीय एक व्यक्ति से दो दिनों के लिए बछिया किराए पर ली थी। बड़ी मुश्किल से उस रुपये की वसूली हो पाई।' बिहार के मोतिहारी से आए गुड्डू तिवारी ने कहा-'पिछले साल भी कोरोना का असर था लेकिन गंगासागर में इतने काम तीर्थयात्री नहीं हुए थे। गंगासागर आने पर दो दिनों में हमारी अच्छी-खासी कमाई हो जाया करती थी लेकिन इस बार तो किसी तरह आने-जाने का खर्च ही उठ पाया है।'
गौरतलब है कि गंगासागर में गोदान कराने मुख्य रूप से बिहार के गया. जमुई. लखीसराय. किउल और सोनपुर से पंडित आते हैं। गोदान कराने के लिए यहां आकर मेले का पास बनाना पड़ता है, जिसके लिए 60 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। गया से आए विक्रम पांडेय ने बताया-'वे 12 को यहां आए थे और 16 को चले जाएंगे। इस बार ज्यादा कमाई नहीं हो पाई। लोगों ने अपनी खुशी से जो दिया, हमने रख लिया। पहले दो दिनों में 20 से 25 हजार रुपये तक की कमाई हो जाया करती थी।
इस बार तो मुश्किल से पांच हजार रुपये ही हो पाए। हम कपिल मुनि से यही प्रार्थना करते हैं कि कोरोना का प्रकोप जल्द खत्म हो और स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाए।'
गौरतलब है कि गंगासागर में मकर संक्रांति पर गोदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गोदान करने से वैतरणी पार हो जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।