West Bengal: माकपा राज्य कमेटी में हुआ बड़ा फेरबदल, कई नए नेताओं को मिली जगह तो कुछ वरिष्ठ हुए बाहर
माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि नए लोगों को काम करने का मौका देने की नीति के तहत माकपा ने राज्य कमेटी में कई अहम बदलाव किए हैं।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। बंगाल में लगातार हाशिए पर जा रही माकपा ने राज्य कमेटी में कई अहम बदलाव किए हैं। मुजफ्फर अहमद भवन में हुई दो दिवसीय बैठक में माकपा राज्य कमेटी ने कई अहम निर्णय लिया है जिसके तहत छात्र संगठन को और सक्रिय बनाने, जन आंदोलन को जोरदार करने को लेकर रूपरेखा तैयार की गई है। वहीं, पार्टी राज्य कमेटी में कई नए चेहरे को जगह मिली है जबकि कुछ उम्रदराज चेहरे को बाहर रख गया है।
इस बाबत माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि नए लोगों को काम करने का मौका देने की नीति के तहत काफी दिनों से इसका प्रयास किया जा रहा था। नए लोग पार्टी को नए सिरे से फिर एक बार राज्य में एक मजबूत ताकत के रूप में पार्टी को उभारने में अपना योगदान देंगे। बैठक में उन्होंने केंद्रीय कमेटी के विभिन्न फैसलों की व्याख्या की।
क्या हुआ है बदलाव
बताया गया है कि राज्य सचिव मंडली के चार सदस्यों ने स्वेच्छा से अपना पद छोड़ने की इच्छा प्रकाश की है, जिनको मंजूरी दी गई है। पद छोड़ने वालों में नृपेन चौधरी, दीपक दासगुप्ता, गौतम देव व मानव मुखर्जी शामिल हैं। वहीं, बैठक में तय हुआ कि दो आमंत्रित सदस्य अनादि साहू व सुमित दे को राज्य कमेटी का पूर्णकालिक सदस्य बनाया जाएगा। इसके अलावा कल्लोल मजुमदार व पलाश दास को स्थाई सदस्य और शमिक लहड़ी को आमंत्रित सदस्य बनाया जाएगा।
चूंकि राज्य कमेटी में एक पद पहले से ही खाली था, उस पद पर वीरभूम की श्यामली प्रधान को लाया गया है। वहीं, राज्य कमेटी में स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में परेश पाल, सैयद हुसैन, अलकेश दास, मयूख विश्र्वास, सुजन भट्टाचार्य, प्रतिकूर रहमान, मिनाक्षी मुखर्जी व एस पी सांतरा को लाया गया है।
अमीरों के लिए टैक्स कटौती कर रही है सरकार : येचुरी
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ग्रामीण परिवारों में निजी खपत सात साल के निम्नतम स्तर पर पहुंचने की खबरों पर कहा कि सरकार अमीरों के कर्ज को बट्टे खाते में डाल रही है और अमीरों के लिए कर कटौती कर रही है, लेकिन सरकार को अर्थव्यवस्था की सुस्ती पर कोई चिंता नहीं है। येचुरी ने कहा कि लंबे समय से खेती का संकट है और ग्रामीण आय लगभग स्थिर बनी हुई लेकिन मोदी सरकार 'विभाजित करने और ध्रुवीकरण की' कोशिश में लगी है।