विष्णुपुर में त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद
- तृणमूल-भाजपा और माकपा के बीच कांटे की टक्कर - क्षेत्र में दिखी सभी दलों की सक्रियता आरो
- तृणमूल-भाजपा और माकपा के बीच कांटे की टक्कर
- क्षेत्र में दिखी सभी दलों की सक्रियता, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
जागरण संवाददाता, कोलकाता : विष्णुपुर की सियासी समर में भले ही कल तक लड़ाई तृणमूल बनाम भाजपा के रूप में देखी जा रही थी लेकिन जिस तरह से माकपा की औचक सक्रियता बढ़ी है, उससे अब यहां त्रिकोणीय संग्राम की उम्मीद जताई जा रही है। कभी माकपा का गढ़ रहे विष्णुपुर संसदीय सीट पर भले ही साल 2014 की आम चुनाव में तृणमूल ने सेंधमारी कर कब्जा कर लिया हो, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो एक बार फिर से क्षेत्र में माकपा की बयार चल रही है। वहीं तृणमूल और भाजपा के बीच जारी संघर्ष का फायदा उठाते हुए माकपा उम्मीदवार सुनील खान जोर शोर से प्रचार में जुटे हुए हैं। इतना ही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं की सक्रियता इतनी अधिक बढ़ गई है कि सुबह से लेकर देर शाम तक भाजपा व तृणमूल की खामियों का लेखा जोखा लेकर घर-घर जनसंपर्क में लगे हुए हैं। हालांकि तृणमूलकर्मियों की ओर से उन्हें परेशान करने की भरपूर कोशिश की जा रही है, बावजूद इसके बिना किसी खौफ के कार्यकर्ता अपने कामों में लगे हुए हैं। माकपा उम्मीदवार सुनील खान की मानें तो हम जनता के बीच जनता की बात कर रहे हैं और उनकी समस्याओं को ही मुद्दा बना चुनाव लड़ रहे हैं। यह क्षेत्र हमारा घर रहा है और मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे घरवाले मुझे एक बार फिर अपनाएंगे। साल 2014 में तृणमूल के झांसे में आकर क्षेत्र के लोगों ने उन्हें मौका जरूर दिया था लेकिन हकीकत सबके सामने हैं। एक ओर भाजपा के पाला बदल उम्मीदवार सौमित्र खां है तो दूसरी ओर तृणमूल के श्यामल सांतरा इन दोनों को ही क्षेत्र की जनता नापसंद कर चुकी है। ऐसे में हम एक बार फिर से घर वापसी करने जा रहे हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि जनता का हमें समर्थन भी मिलेगा। भाजपा उम्मीदवार सौमित्र खान को भले ही सुप्रीम कोर्ट से नामांकन की इजाजत मिल गई हो, लेकिन बांकुड़ा जिले में दाखिल होने पर रोक जारी रहेगी। उनके खिलाफ रेत खनन मामले में जाच लंबित होने की वजह से कलकत्ता हाईकोर्ट ने उनके बांकुड़ा जिले में प्रवेश पर रोक लगाई है और जहां तक विष्णुपुर संसदीय क्षेत्र का सवाल है तो इसका 90 प्रतिशत हिस्सा बाकुड़ा जिले में पड़ता है। यही नहीं क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ छात्रों को नौकरिया दिलाने का वादा कर उनसे रुपये लेने का भी आरोप है। इधर, पति की पतली होती सियासी पकड़ को भांप सौमित्र की पत्नी सुजाता प्रचार की कमान अपने कंधों पर ले क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान चला रही है और क्षेत्र की जनता को यह समझाने में लगी हुई है कि उनके पति बेदाग व विकास प्रिय व्यक्तित्व है और यही वजह है कि उन्होंने तृणमूल का दामन छोड़ देश के विकास पुरुष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुना। लेकिन तृणमूल कांग्रेस उन्हें विश्वासघाती व जन विरोधी कहे फिर रही है।