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Loksabha Election: भाजपा के खिलाफ ममता बनर्जी को मुख्य चेहरे के रूप में देखना चाहती है तृणमूल कांग्रेस

तृणमूल कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों में अपने संगठन का विस्तार कर राष्ट्रीय राजनीति में अपना महत्व और वजन बढ़ाने की रणनीति अपनाई है। यह सुनिश्चित करने की एक कोशिश है कि ममता बनर्जी को आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुख्य चेहरे के रूप में देखा जाए।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 05:42 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 05:42 PM (IST)
Loksabha Election: भाजपा के खिलाफ ममता बनर्जी को मुख्य चेहरे के रूप में देखना चाहती है तृणमूल कांग्रेस
टीएमसी ने राष्ट्रीय राजनीति में अपना महत्व और वजन बढ़ाने की अपनाई है रणनीति

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों में अपने संगठन का विस्तार कर राष्ट्रीय राजनीति में अपना महत्व और वजन बढ़ाने की रणनीति अपनाई है। पार्टी के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक यह सुनिश्चित करने की एक कोशिश है कि ममता बनर्जी को आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुख्य चेहरे के रूप में देखा जाए। फिलहाल की रणनीति की शुरुआत अर्पिता घोष के राज्यसभा से अचानक इस्तीफे से हुई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अगले एक हफ्ते में दूसरे राज्य से बड़े पैमाने के राजनीतिक नेता के तृणमूल कांग्रेस का दामन पकड़े नजर आने की संभावना है।

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सूत्रों के मुताबिक इस पहल में पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी सबसे आगे हैं। राज्यसभा के संसदीय दल को अखिल भारतीय रूप देने का प्रयास किया गया है। राज्य में मोदी-शाह की सेना को बड़े पैमाने पर हराने के बाद तृणमूल ने संसद के मानसून सत्र में इसका स्पष्ट संदेश दिया है। यानी ममता देश में सबसे विश्वसनीय भाजपा विरोधी चेहरा हैं।

राहुल गांधी से तृणमूल सांसदों को 'एलर्जी'

-हालांकि ममता ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है, लेकिन इसके बावजूद तृणमूल सांसदों की राजनीतिक गतिविधियों से साफ तौर पर देखा गया कि उन्हें राहुल गांधी से 'एलर्जी' है।राजनीतिक खेमे के अनुसार तृणमूल के इस रवैये का संबंध तृणमूल संसदीय दल को राष्ट्रीय स्तर पर वजनदार बनाने से है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश में मुख्य राजनीतिक परिदृश्य भाजपा बनाम तृणमूल हो। बाकी विपक्ष तृणमूल कांग्रेस के साथ होगा।

ताकि कांग्रेस विपक्षी नेतृत्व पर छड़ी नहीं घुमा सके

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस जानती है कि कांग्रेस को छोड़कर तीसरा गठबंधन बनाकर भाजपा को हराना अवास्तविक है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के मुताबिक कांग्रेस ने भाजपा के साथ करीब 180 सीटों पर लड़ाई लड़ी थी। तृणमूल कांग्रेस के मुताबिक यहां सवाल लड़ाई का नहीं है। ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए जहां कांग्रेस विपक्षी नेतृत्व के सिर पर छड़ी नहीं घुमा सके। इसी वजह से तृणमूल नेतृत्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) की राहुल गांधी से बढ़ती नजदीकियां और उनकी कांग्रेस महासचिव पद की मांग पर नजर रखे हुए है।

पीके की गतिविधियां टीएमसी को गवारा नहीं

हालांकि सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहने के बावजूद अभिषेक बनर्जी के लिए यह मुद्दा निश्चित रूप से राहत की बात नहीं है। पार्टी के कई शीर्ष नेताओं ने पीके की ओर से कांग्रेस में शीर्ष पद की मांग पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताई है। फिर भी अगर कांग्रेस में पीके की शर्त मान ली जाती है तो पीके के लिए एक ही शर्त होगी। यानी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर विपक्ष की रणनीति तैयार करना, जिसे तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व कतई मानने को तैयार नहीं है।


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