West Bengal :हर साल गंगासागर पहुंच पुण्य कमाते हैं यह डॉक्टर भाई-बहन
हर साल गंगासागर पहुंच ‘पुण्य’ कमाते हैं 40 साल से हर मकर संक्रांति मेला पर गंगासागर पहुंच कर रहे मानवता की सेवा शिविर लगाकर बीमार तीर्थयात्रियों का करते हैं निशुल्क इलाज
कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार! लोग आस्था के महापर्व मकर संक्राति पर एक बार भी गंगासागर पहुंच जाने को सौभाग्य मानते हैं, वहीं यह डॉक्टर भाई-बहन पिछले 40 साल से हर बार यहां पहुंच सेवा कर पुण्य कमाते आ रहे हैं।
मानव सेवा की मिसाल पेश करने वाले भाई-बहन हैं-
73 साल के डॉ. अनंत कुमार चक्रवर्ती और 65 साल की डॉ. अंजलि चक्रवर्ती। दोनों पेशे से होम्योपैथी डॉक्टर हैं। गंगासागर में जो तीर्थयात्री बीमार पड़ जाते हैं, दोनों उनका नि:शुल्क इलाज करते हैं। उनका वेस्ट बंगाल डीएमएस एसोसिएशन गंगासागर में नि:शुल्क होम्योपैथी चिकित्सा प्रदान करने वाला सबसे पुराना संगठन है।
पत्तियों से बनी झोपड़ी में रहकर करते हैं इलाज :
गंगासागर में डॉ. भाई-बहन को खुद भी बेहद कठिनाई ङोलनी पड़ती है। राज्य सरकार की तरफ से रहने को होगला नामक पत्तियों से झोपड़ी बनाकर दी जाती है। मकर संक्रांति के समय पड़ने वाली कड़ाके की ठंड में दोनों इसी में रहते हैं। उनका चिकित्सा शिविर भी इसी पत्ती का बना होता है। डॉ. अनंत चक्रवर्ती ने कहा- गंगासागर की यात्रा बेहद कठिन है। दुर्गम यात्रा की थकान व वहां चलने वाली सर्द हवाओं के कारण बहुत से तीर्थयात्री बीमार पड़ जाते हैं। उनके नि:शुल्क इलाज के लिए हम पिछले 43-44 साल से यहां चिकित्सा शिविर लगाते आ रहे हैं। मरीजों के नि:शुल्क इलाज के साथ ही उन्हें मुफ्त में दवाएं भी दी जाती हैं।
डॉक्टर भाई-बहन उस जमाने से गंगासागर जा रहे हैं, जब ज्यादातर डॉक्टर वहां चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने जाने से कतराते थे। डॉ. अंजलि चक्रवर्ती ने कहा- गंगासागर में अभी बहुत सी संस्थाएं मकर संक्रांति पर चिकित्सा शिविर लगाती हैं, लेकिन पहले वहां इतनी सुविधाएं नहीं थीं। शुरू में हम गंगासागर मेला परिसर में घूम-घूमकर मरीजों को तलाशते थे क्योंकि हर मरीज खुद से चलकर हमारे चिकित्सा शिविर में आने की हालत में नहीं होता था। वहां होने वाली तकलीफ पर दोनों ने कहा- मानव सेवा के आगे ये तकलीफ कुछ भी नहीं। देश के कोने-कोने से गंगासागर आने वाले तीर्थयात्रियों की सेवा करके अलग ही आनंद मिलता है। ड्यूटी के कारण हम तो पुण्य स्नान भी नहीं कर पाते। हमारा पुण्य तो बीमार लोगों का इलाज करना है। उम्र के इस पड़ाव में भी अविवाहित भाई-बहन में शुरुआती दिनों जैसा ही उत्साह नजर आता है। उन्होंने कहा, जब तक शरीर साथ देगा, हम गंगासागर जाते रहेंगे।
40 साल से हर मकर संक्रांति मेला पर गंगासागर पहुंच कर रहे मानवता की सेवा, शिविर लगाकर बीमार तीर्थयात्रियों का करते हैं नि:शुल्क इलाज
वरिष्ठ नागरिकों के लिए चला रहे नि:शुल्क क्लीनिक साल्टलेक इलाके के रहने वाले डॉ. भाई-बहन उत्तर कोलकाता के श्यामबाजार इलाके के देशबंधु पार्क में शेड के नीचे वरिष्ठ नागरिकों के लिए निश्शुल्क क्लीनिक भी चलाते हैं। दोनों ने स्नातक के बाद होम्योपैथी मेडिसीन एंड सर्जरी में डिप्लोमा किया है। डॉ. अनंत कुमार चक्रवर्ती बंगाल सरकार के लिए बतौर मेडिकल अफसर अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके हैं।
बीमार भाई की सेवा से जगी प्रेरणा
डॉ. अनंत कुमार चक्रवर्ती ने कहा- जब मैं आठवीं कक्षा में था, उस समय मेरे बड़े भाई बीमार पड़ गए थे। उस वक्त मैंने ही उनकी देखभाल की थी। उसी समय से मन में सेवा की भावना पैदा हुई। उसके बाद मैंने होम्योपैथी की पढ़ाई शुरू की। अंजलि ने भी भाई का अनुसरण करते हुए मानव सेवा में खुद को समर्पित कर दिया।