Lockdown Effect: देश में बढ़ सकती हैं चाय की कीमतें, नौ फीसद उत्पादन घटने की आशंका
देश में चाय का उत्पादन 100 मिलियन किलोग्राम तक गिरने की आशंका है। 2019 में भारत में लगभग 1389 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन हुआ था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : महामारी कोविड-19 पर काबू पाने के लिए लागू किए गए लॉक डाउन से चाय का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। टी बोर्ड सूत्रों के मुताबिक इस वर्ष चाय के उत्पादन में 9 फीसद की गिरावट हो सकती है। देश में चाय का उत्पादन 100 मिलियन किलोग्राम तक गिरने की आशंका है। 2019 में भारत में लगभग 1,389 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन हुआ था। इस बारे में टी बोर्ड के अध्यक्ष पी के बेजबरुआ ने बताया कि देश में चल रहे लॉक डाउन का असर चाय उत्पादन पर भी होगा और इससे उद्योग प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि चाय की झाड़ियों को फिर से उत्पादन के स्तर पर लाने में समय लगेगा।
इस वर्ष चाय का उत्पादन लगभग 100 मिलियन किलोग्राम कम हो सकता है, जिससे चाय की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, निर्यात घटने से कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना कम होती जा रही है। बेजबरुआ ने कहा कि इस लॉकडाउन की वजह से दार्जिलिंग के चाय बागान में पहले फ्लश उत्पादन में लगभग 30 फीसद की कमी आएगी, जो एक प्रीमियम किस्म है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के डुआर्स में चाय उत्पादन को लगभग 11 फीसद और असम में 10 फीसद का नुकसान होने की संभावना है।
गौरतलब है कि भारत से होने वाले चाय निर्यात को कोरोनोवायरस के प्रकोप ने गहरा झटका दिया है। इस महामारी से महत्वपूर्ण निर्यात क्षेत्रों में शिपमेंट घटने की संभावना है। आमतौर पर फरवरी से अप्रैल के बीच चाय कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि होती है क्योंकि इस समय के दौरान अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए जाते हैं। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि महामारी के कारण, अनुबंधों पर हस्ताक्षर नहीं हो रहे हैं। इससे टी बोर्ड की चिंता बढ़ती जा रही है कोरोनोवायरस के प्रकोप और अन्य कारकों की वजह से इस वर्ष चाय क्षेत्र को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।
लॉक डाउन के कारण बदल रहा है मौसम चक्र
कोरोना के कारण लॉक डाउन ने मौसम चक्र में परिवर्तन ने सबको अचंभे में डाल दिया है। गांव में बुजुर्ग मौसम की चाल देख दंग हैं तो प्रयोगशाला में काम कर रहे कृषि व मौसम विज्ञानी भी। अमूमन अप्रैल के पहले सप्ताह से ही लू चलने लगती है और लोग रातों को सोते हुए भी पसीने से तर हो जाते हैं, लेकिन मौसम ने इस बार ऐसा पलटी मारी है कि देर रात व सुबह में ठंड का अहसास हो रहा है।
बुजुर्गों व वैज्ञानिकों की मानें तो मौसम की यह बदली हुई चाल खेती-किसानी के साथ-साथ लोगों की सेहत के लिए भी हानिकारक है। मौसम विज्ञानियों ने पहले घोषणा की थी कि अप्रैल से ही लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा। पूर्व के वर्षों में ऐसा होता भी रहा है, लेकिन साइक्लोन ने इस पूर्वानुमान की हवा निकाल दी है। लोग इसे कोरोना के कारण वाहनों पर लगी रोक को कारण मान रहे है।