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Lockdown Effect: लॉकडाउन पीरियड का वेतन नहीं मिलने से जूट मजदूर आंदोलन की राह पर

लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल की जूट मिलों को सशर्त खोले जाने की अनुमति दी गई थी। इसके वाबजूद अब तक राज्य के एक भी जूट मिल में उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 06:23 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 06:23 PM (IST)
Lockdown Effect: लॉकडाउन पीरियड का वेतन नहीं मिलने से जूट मजदूर आंदोलन की राह पर
Lockdown Effect: लॉकडाउन पीरियड का वेतन नहीं मिलने से जूट मजदूर आंदोलन की राह पर

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : लॉकडाउन पीरियड का वेतन नहीं मिलनें से जूट मजदूरों में मिल मालिक के प्रति धीरे-धीरे रोष बढ़ता जा रहा है। मालूम हो कि  लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल की जूट मिलों को सशर्त खोले जाने की अनुमति दी गई थी। इसके वाबजूद अब तक राज्य के एक भी जूट मिल में उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है।  वजह यह है कि लॉकडाउन पीरियड का वेतन नही मिलनें के साथ कम मजदूरों को लेकर सरकार द्वारा मिल चलाए जाने के प्रस्ताव से श्रमिक नाराज़ है।

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मालूम हो कोरोना महामारी के इस दौर में खाद्य सामग्री की आपूर्ति के लिए देश के कई राज्यों से जूट के बोरे का डिमांड आया है। इसी के ध्यान में रखते हुए केंद्र  सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से नियम के तहत जूट मिलों में उत्पादन चालू करनें की पहल की थी। मिल चालू करने की बात तो एक तरफ, अब जूट मिल के श्रमिक अपने लॉकडाउन का वेतन की मांग पर आंदोलन करने का रुख अख्तियार कर रहे हैं। हालांकि कुछ वामपंथी समर्थित श्रमिक संगठन की ओर से श्रमिकों की इस मांग पर राज्य के विभिन्न जूट मिलों के सामने धरना प्रदर्शन भी शुरू कर दिया गया है। इधर एक मिल के अधिकारी का कहना है कि जब तक उत्पादन शुरू नहीं होता तब तक वेतन देना संभव नही है। बंगाल चटकल मजदूर यूनियन के नेता शिव मंगल सिंह का कहना है कि 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिल एव फैक्ट्रियों के मालिकों से श्रमिकों एव कर्मचारियों का वेतन समय से देने की अपील की गई थी। इसके बाद भी मिल के मालिक राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एव देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात नहीं मान रहे है। 

नेशनल फेडरेशन आफ जूट वर्कर्स के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय कुमार का कहना है कि सरकार द्वारा दी गई अनुमति के मुताबिक 15 फीसद श्रमिकों को लेकर मिल चलाना संभव नहीं है।  एक जूट मिल में कई विभाग होते है। प्रत्येक विभाग में मजदूर मशीनों पर अपनें निर्धारित काम को करते है। जबकि पूर्वक रूप से उत्पादन करने के लिए एक विभाग का दूसरे विभाग के बीच तालमेल होना अति आवश्यक है। इसके लिए 15 फीसद मजदूर पर्याप्त नहीं है।  उनका कहना है कि अगर सरकार 15 प्रतिशत मजदूरों की जगह 50 फीसद श्रमिकों को लेकर काम चालू करे तो उत्पादन भी होगा और अधिकांश मजदूरों को काम भी मिल पाएगा। विनय कुमार ने भी लॉकडाउन का वकाया वेतन मजदूरों को जल्द देने की मांग की। हुगली जिले के रिसड़ा स्थित वेलिंगटन जूट मिल के श्रमिक उदय शंकर सिंह एव वरूण कुमार सिंह का कहना है लॉकडाउन में हमलोगों की माली हालत काफ़ी खराब हो चुकी। जल्द मिल खुले यह हमलोगों भी चाहते है। मजदूरों ने भी इन विषय पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हस्तक्षेप की मांग की है।


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