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बेड़ियों में कैद 25 वर्षीय युवती की जिंदगी

तीन माह से एक 25 वर्षीय युवती बेड़ियों के जकड़न में बंधी हुई है। पैर में लोहे की बेड़ी लगी हालत में वह घर से बाहर निकलती है और फिर घर में चली जाती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 11:32 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 11:32 AM (IST)
बेड़ियों में कैद  25 वर्षीय युवती की जिंदगी
बेड़ियों में कैद 25 वर्षीय युवती की जिंदगी

दुर्गापुर, जेएनएन। तीन माह से एक 25 वर्षीय युवती बेड़ियों के जकड़न में बंधी हुई है। पैर में लोहे की बेड़ी लगी हालत में वह घर से बाहर निकलती है और फिर घर में चली जाती है। आसपास के लोग भी रोज उसे इसी हालत में देखते हैं। घर वाले इस भय से उसे बेड़ी में बांध दिया है ताकि वह घर छोड़कर कहीं न चली जाए।

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क्योंकि उसकी मानसिक हालत भी ठीक नहीं है। यह स्थिति पूर्व व‌र्द्धमान जिले के कटवा थानांतर्गत आठ नंबर वार्ड स्थित बागनापाड़ा निवासी शुक्ला खातून की है। उसके पिता अब्दुल मन्नाफ पेशे से दर्जी हैं। घर में वो और उनकी बेटी शुक्ला रहती है। उनकी पत्नी हसीना बीबी की मौत काफी समय पहले हो गई थी। उनकी तीन बेटी व एक पुत्र हैं। दो बेटियों की शादी हो चुकी है और बेटा भी कोलकाता में रहकर किसी निजी संस्था में काम करता है। ऐसे में पिता एवं बेटी ही घर पर रह जाते हैं।

मन्नाफ ने कहा कि शुक्ला पढ़ने में काफी तेज थी। वर्ष 2013 में जब वह स्नातक की पढ़ाई कर रही थी, तभी से उनकी मानसिक हालत बिगड़ने लगी। उसका काफी इलाज करवाया, लेकिन उसकी स्थिति में सुधार नहीं है। इलाज में घर का सारा रुपया खर्च हो गया। इलाज के लिए कई लोगों से मदद भी ली, लेकिन कोई फल नहीं मिला। इस बीच खुला रहने पर वह घर से तीन बार भाग चुकी है।

अन्य राज्य से दो बार उसे खोज कर लाया जा चुका है। तीन माह पहले भी भटक कर वह हावड़ा चली गई थी, जहां से कुछ लोगों ने उसे घर पहुंचा दिया। उसी समय लोगों ने बेड़ी लगाने की सलाह दी थी। लोगों की सलाह के अनुसार उसके पैर में दो बेड़ी लगाकर जंजीर लगा दिया। ताकि वह कहीं जा न सके। मैं भी काम के सिलसिले में बाहर ही रहता हूं।

वह अकेले घर में रहती है, वह सुरक्षित घर में रहे, इस कारण ऐसा किया गया है। इस संदर्भ में कटवा नगरपालिका के चेयरमैन रवींद्रनाथ चटर्जी ने कहा कि उस युवती की अस्वस्थता की जानकारी है। उसके पिता को आर्थिक सहयोग भी मैने दिया था। उसे बेड़ी में जकड़ कर रखने की बात नहीं सुनी है। 


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