नहीं लौटी मां, पर लौट आया लाडला 'देवांश'
नन्हीं सी उम्र में मौत के मुंह से जिंदगी की आस छीनकर आखिरकार देवांश, घर लौट आया है। हालांकि मां का साथ अब उसके साथ नहीं है।
हावड़ा, इम्तियाज अहमद अंसारी। नन्हीं सी उम्र में मौत के मुंह से जिंदगी की आस छीनकर आखिरकार देवांश, घर लौट आया है। हालांकि मां का साथ अब उसके साथ नहीं है। बेटे को जन्म देने के महज कुछ दिनों बाद ही मां चल बसी। घातक बीमारी डेंगू ने नवजात देवांश को उसकी मां प्रियंका से हमेशा-हमेशा के लिए दूर कर दिया है। गिरीश घोष की निवासी प्रियंका जायसवाल अब इस दुनिया में नहीं है।
इस घटना में एक ओर जहां नवजात ने अपनी मां को खोया है। वहीं जायसवाल परिवार के लिए यह चोट कभी ना भरने वाला घाव के रूप में हमेशा टीस देता रहेगा। पर.. कहते हैं ना ईश्वर बड़ा दयालु होता है। उसने प्रियंका को उसके परिवार से दूर तो जरूर कर दिया, लेकिन देवांश के रूप में प्रियंका हमेशा अपनी मौजूदगी का एहसास परिवार के लोगों को कराती रहेगी। प्रियंका की मौत के बाद बीते सप्ताह अस्पताल से देवांश जायसवाल को छुंट्टी मिल गई। नन्हा सा देवांश अब अपने परिवार के लोगों के बीच बिलकुल स्वस्थ होकर लौट आया है।
प्रियंका के पति समेत पूरा परिवार देवांश के घर लौटने पर खुश है। बच्चे को जन्म के बाद बिगड़ी प्रियंका की तबीयत उल्लेखनीय है कि देवांश को जन्म देने के बाद प्रियंका की तबीयत बिगड़ गई। इस सूरत में प्रियंका को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। इधर मां की तबीयत बिगड़ने के कारण नवजात की भी तबीयत बिगड़ गई। जच्चा-बच्चा दोनों की तबीयत में गिरावट दर्ज करने के बाद बेहतर इलाज को दो नवंबर को उन्हें कोलकाता स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
चिकित्सकों के अनुसार प्रियंका और उसके बच्चे दोनों डेंगू से पीड़ित थे। इलाज के दौरान 11 नवंबर की रात को आखिरकार प्रियंका की मौत हो गई। जबकि बेटे देवांश की तबीयत में सुधार लगातार जारी रहा। अस्पताल से उसे बीते सप्ताह छुंट्टी मिल गई।
प्रियंका ने कहा था, बेटा का देवांश व बेटी होने पर देवांशी रखेंगे नाम पारिवारिक सदस्य कन्हैयालाल जायसवाल ने कहा कि, बच्चे के जन्म के पूर्व प्रियंका ने बच्चे के नामकरण पर कहा था कि लड़का हुआ तो देवांश और लड़की हुई तो उसका नाम देवांशी रखा जाएगा। परिवार ने प्रियंका की इच्छानुसार बच्चे का नाम देवांश रखा है।
बच्चे को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत : चिकित्सक चिकित्सकों के अनुसार बेहद छोटी से उम्र में देवांश को बीमारी से जूझना पड़ा है। हालांकि अब वह इस बीमारी से उबर चुका है। लेकिन उसे अब भी अतिरिक्त व विशेष देखभाल की जरूरत अगले कुछ सालों तक होगी। कम से कम एक साल तक उसे दुबारा डेंगू ना हो, इस पर बेहद गंभीरता से परिवार के लोगों को इसका ध्यान रखना होगा। चिकित्सकों के अनुसार यदि बच्चे को दुबारा डेंगू होता है, तो स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके लिए परेशानी बढ़ सकती है।