'लांग मार्च' के नक्शे कदम पर दिल्ली अभियान की तैयारी में जुटा वाममोर्चा
-लोकसभा चुनाव से पहले वामो करेगा शक्ति प्रदर्शन -5 सितंबर को दिल्ली में खेतिहर मजदूरों का होना ह
-लोकसभा चुनाव से पहले वामो करेगा शक्ति प्रदर्शन
-5 सितंबर को दिल्ली में खेतिहर मजदूरों का होना है जमावड़ा
- 3 लाख लोग के शामिल होने का किया जा रहा है दावा
-श्रमिक, महिला व कृषक संगठन का 9 अगस्त को जेल भरो आंदोलन
जागरण संवाददाता, कोलकाता : माकपा से ताल्लुक रखने वाले आल इंडिया किसान सभा की अगुवाई में मार्च में महाराष्ट्र में निकाला गया 'लांग मार्च' काफी सुर्खियों में रहा। अपनी मांगों को लेकर हजारों की संख्या में किसान पैदल चल कर मुंबई पहुंच रहे थे तो महाराष्ट्र के देवेंद्र फड़णवीस सरकार को भी किसानों की मांगे मानने के लिए बाध्य होना पड़ा। इतना ही नहीं लंग मार्च की रूपरेखा कुछ ऐसे थी कि किसानों के आंदोलन का समर्थन शिवसेना, एमएनएस, कांग्रेस और आप के अलावा कांग्रेस ने भी किया था।
किसान मोर्चा की अगुवाई करने वाले चिकित्सक कृषक नेता अशोक धवले रातों रात माकपा के पोस्टर बॉय बन गए। उन्हें माकपा केंद्रीय कमेटी में भी जगह मिली। अब एक बार फिर माकपा की योजना लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ ऐसे ही आंदोलन को लामबंद करने की है। इसे लेकर कृषक सभा की तैयारियां चल रही है साथ में श्रमिक संगठन सीटू और महिला संगठन को भी मजबूत किया जा रहा है। माकपा के पिटारे में लोकसभा चुनाव से पहले दो बृहद कार्यक्रम है जिसे लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। इनमें से एक यह है कि 5 सितंबर को दिल्ली में खेतिहर मजदूरों का जमावड़ा होना है तो दूसरा आंदोलन 9 अगस्त को जेल भरो होना है।
उल्लेखनीय है कि नासिक में जारी खेतिहर मजदूरों की सभा में 5 सितंबर को दिल्ली में होने वाली जमायत की चर्चा जारी है। खेतिहर मजदूर संगठन के सचिव विजय राघवन ने बुधवार को नासिक में बताया कि कृषक संगठन की विंग के हिसाब से खेतिहर मजदूर यूनियन भी उक्त जमायत का हिस्सा बनेगा। इसमें करीब 3 लाख लोग हिस्सा लेंगे।
उधर, तीन संगठनों महिला, किसान और श्रमिक की ओर से 9 अगस्त को जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा। इस बाबत माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्ला ने बताया कि जेल भरो आंदोलन के दौरान पता चलेगा कि लंग मार्च से भी यह आंदोलन कितना बड़ा होगा। उन्होंने कहा कि सबकुछ बोल कर नहीं बताया जा सकता बल्कि आवेश भी कई बार मायने रखता है। 9 अगस्त और सितंबर की जमायत को और प्रबल बनाने के लिए उक्त तीनों संगठन सोशल मीडिया अभियान को लेकर भी सक्रिय हैं। इसके अलावा जन-जन तक पहुंच कर जनसंपर्क अभियान भी चलाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि दोनों आंदोलन पर अगले महीने होने वाले माकपा केंद्रीय कमेटी की बैठक में भी चर्चा होगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विभिन्न राज्यों में माकपा की शक्ति कितनी प्रबल हुई है इस बात का अंदाजा उक्त दोनों आयोजनों से पता चलेगा।