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जीआरएसइ में निर्मित युद्धपोत आइएनएस हिमगिरि का जलावतरण, नौसेना की बढ़ेगी ताकत

बड़ी खासियत-जलावतरण के बाद यह अत्याधुनिक नौसैन्य पोत गहन परीक्षण से गुजरेगा और उसके बाद नौसेना को सौंपा जाएगा। नौसेना को 2023 में पहला युद्धपोत हिमगिरि मिलने की उम्मीद। अन्य 2024 और 2025 में मिलेंगे। दुश्मन के रडार भी इस युद्धपोत को टै्रक नहीं कर सकेगी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 07:27 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 07:50 PM (IST)
जीआरएसइ में निर्मित युद्धपोत आइएनएस हिमगिरि का जलावतरण, नौसेना की बढ़ेगी ताकत
रावत की पत्नी मधुलिका रावत के हाथों जीआरएसइ यार्ड में युद्धपोत का जलावतरण किया गया।

 जासं, कोलकाता : रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसइ) द्वारा प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित रडार की नजरों से बच सकने वाले पहले युद्धपोत आइएनएस हिमगिरि का जलावतरण सोमवार को यहां किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारतीय नौसेना की शक्ति और बढ़ाने वाला पोत हिमगिरि नौसेना की रक्षा तैयारियों को और मजबूती प्रदान करेगा। रावत की पत्नी मधुलिका रावत के हाथों हुगली नदी के किनारे स्थित जीआरएसइ यार्ड में इस युद्धपोत का जलावतरण किया गया। 

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नौसेना को 2023 में पहला युद्धपोत हिमगिरि मिलने की उम्मीद 

एक अधिकारी ने बताया कि जलावतरण के बाद यह अत्याधुनिक नौसैन्य पोत गहन परीक्षण से गुजरेगा और उसके बाद इसे नौसेना को सौंपा जाएगा। अधिकारी ने बताया, 17ए प्रोजेक्ट के तहत ऐसे तीन युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है जिनको दुश्मन की रडार भी टै्रक नहीं कर सकेगी। जीआरएसइ को परियोजना 17ए के तहत 19,294 करोड़ रुपये में तीनों युद्धपोतों के निर्माण का ठेका मिला है। नौसेना को 2023 में पहला युद्धपोत हिमगिरि मिलने की उम्मीद है जबकि दो अन्य 2024 और 2025 में सौंपे जाएंगे।

खासियत-दुश्मन के रडार भी युद्धपोत को टै्रक नहीं कर सकेगी

युद्धपोत की खासियत- इन तीनों युद्धपोतों की सबसे बड़ी खासियत है कि ये अत्याधुनिक संसाधनों जैसे बराक-8 मिसाइल और हायपरसोनिक ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों से लैस होंगे।

- दुश्मन के रडार भी इस युद्धपोत को टै्रक नहीं कर सकेगी।

- इन युद्धपोतों की लंबाई 149 मीटर और वजन क्षमता करीब 6670 टन है जबकि इसकी रफ्तार 28 समुद्री मील प्रति घंटा होगी।

- ये अत्याधुनिक स्वचालित एकीकृत हथियार प्लेटफॉर्म से युक्त मल्टी रोल वाले पी-17 युद्धपोत भारतीय नौसेना को समुद्र में बाकी देशों के मुकाबले बढ़त दिलाने वाले हैं।

- यह पूरी तरह स्वदेशी है और मेक इन इंडिया के तहत इसका निर्माण किया गया है।

- बेड़े में शामिल किए जाने से पहले इन तीनों युद्धपोतों को लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा।


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