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कोलकाता का बड़ाबाजार किसी 'लाक्षागृह' से कम नहीं है

एशिया के सबसे बड़े थोक बाजारों में शुमार कोलकाता का बड़ाबाजार किसी लाक्षागृह से कम नहीं है। यहां की लगभग हर दूसरी इमारत आग को खुला न्योता दे रही है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 11:01 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 11:06 AM (IST)
कोलकाता का बड़ाबाजार किसी 'लाक्षागृह' से कम नहीं है
कोलकाता का बड़ाबाजार किसी 'लाक्षागृह' से कम नहीं है

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। एशिया के सबसे बड़े थोक बाजारों में शुमार कोलकाता का बड़ाबाजार किसी 'लाक्षागृह' से कम नहीं है। यहां की लगभग हर दूसरी इमारत आग को खुला न्योता दे रही है। अग्निशमन विभाग के मुताबिक बड़ाबाजार की कम से कम 500 बड़ी इमारतें अग्निकांड के लिहाज से बेहद खतरनाक स्थिति में हैं।

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ये इमारतें मुख्य रूप से राजाकटरा, मनोहर दास कटरा, गांधी कटरा, सोना पट्टी, दाल पट्टी, पगिया पट्टी, ढाका पट्टी, दही हट्टा, चीनी पट्टी, मिश्री पट्टी, कॉटन स्ट्रीट और सर हरिराम गोयनका स्ट्रीट में स्थित हैं। इन इलाकों में बिजली के तारों का जंजाल है। यहां ऐसी ढेर सारी इमारतें हैं, जहां बिजली आपूर्ति संबंधी नियमों को ताक पर रख दिया गया है। अस्थायी बिजली कनेक्शन की भी भरमार है। बड़ाबाजार में आग लगने की ज्यादातर घटनाएं शार्ट सर्किट की वजह से होती हैं, जिनकी मुख्य वजह यही है।

बागरी मार्केट की आग बुझाने में जुटे समीर दास नामक अग्निशमन कर्मी ने कहा-'आग लगने पर हमपर दोष मढ़ना काफी आसान होता है लेकिन सिस्टम के बारे में कोई कुछ नहीं कहता। बड़ाबाजार के किसी भी मार्केट में बिजली आपूर्ति को लेकर कोई सिस्टम नहीं है। सब जैसे-तैसे चलता है।'

सूत्रों से पता चला है कि पर्याप्त अग्निशमन व्यवस्था नहीं होने के बावजूद महानगर के कई बाजारों के दुकानदारों को ट्रेड लाइसेंस जारी किया गया है। खबर यह भी है कि बागरी मार्केट के व्यवसायियों को भी जुलाई महीने में नए सिरे से ट्रेड लाइसेंस जारी किया गया था।

तारों के जंजाल के बारे में पूछने पर सीइएससी के उपाध्यक्ष (वितरण सेवाएं) अभिजीत घोष ने कहा कि बड़ाबाजार में तार ओपन में नहीं बल्कि अंडरग्राउंड हैं।

बड़ाबाजार और अग्निकांड का चोली-दामन का साथ

बड़ाबाजार और अग्निकांड का मानों चोली-दामन का साथ है। पिछले कुछ वर्षों में यहां आगलगी की दर्जनों घटनाएं हो चुकी हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर घटनाएं शनिवार रात को हुई हैं। 12 जनवरी, 2008 को नंदराम मार्केट में लगी आग एक हफ्ते तक बुझ नहीं पाई थी।

उस भयावह अग्निकांड में 1200 दुकानें खाक हो गई थीं। 54 इंजनों और 300 अग्निशमन कर्मियों ने कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया था। जनवरी, 2010 में मनोहर दास कटरा में लगी आग में भी कई दुकानें भस्मीभूत हो गई थीं। दिसंबर, 2002 में बड़ाबाजार में ऊनी कपड़ों के थोक बाजार को आग ने अपनी आगोश में ले लिया था। अप्रैल, 2003 में सत्यनारायण पार्क एसी मार्केट में भी भयावह आग लगी थी।

सितंबर, 2004 में सर हरिराम गोयनका स्ट्रीट स्थित एक साड़ी की दुकान भी भीषण आग की भेंट चढ़ गया था। जुलाई, 20005 में कलाकार स्ट्रीट के पास स्थित एक गोदाम में आग लगी थी। इसके दो महीने बाद ही जैक्सन लेन स्थित प्लास्टिक और कागज के गोदाम में आग लगी थी। मार्चल 2006 में इजरा स्ट्रीट की दुकानों में भीषण आग लग गई थी। पिछले साल फरवरी में अमरतल्ला स्ट्रीट स्थित इमारत आग में भस्मीभूत हो गई थी।  


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