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Kolkata Coronavirus Update : कोरोना मरीज के देह दान से संक्रमण फैलने का खतरा नहीं

जानकारी-शव के प्रमुख अंगों से निकाले गए अंश को फॉर्मलीन में डुबोने से मर जाता है कोरोना वायरस। पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी से मानव अंगों पर कोरोना वायरस के प्रभाव का चलेगा पता। बंगाल में अभी तक तीन कोरोना मरीजों ने शोध के लिए अपना शरीर दान दिया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 21 May 2021 09:28 PM (IST)Updated: Fri, 21 May 2021 09:28 PM (IST)
Kolkata Coronavirus Update : कोरोना मरीज के देह दान से संक्रमण फैलने का खतरा नहीं
Kolkata Coronavirus Update : पैथोलॉजी विभाग की डॉक्टर तीस्ता बसु ने दी जानकारी।

 इंद्रजीत सिंह, कोलकाता : कोरोना मरीज के देह दान से संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहता है, क्योंकि मरीज के प्रमुख अंगों से निकाले गए अंश को फॉर्मलीन में डुबोकर रखा जाता है जिससे कोरोना वायरस के जीवित रहने की संभावना नहीं रहती है। यह जानकारी कोलकाता के सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल सेठ सुखलाल करनानी मेमोरियल हॉस्पिटल (एसएसकेएम) के पैथोलॉजी विभाग की डॉक्टर तीस्ता बसु ने दी है। 

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फॉर्मलीन में डुबोया जाता है शरीर

डॉ. बसु ने बताया कि ऑटोप्सी के दौरान शरीर के प्रमुख अंगों के बहुत मामूली अंश काटकर लिए जाते हैं तथा बाकी शरीर को दाह कर दिया जाता है। अंगों से निकाले गए अंश को सावधानी पूर्वक फॉर्मलीन में डुबोया जाता है। इससे वायरस संग-संग मर जाता है। 

मोम के ढांचे में रखा जाता है अंश

डॉ. बसु ने बताया कि मानव शरीर के प्रमुख अंगों से लिए गए अंश से शोध की जरूरत के मुताबिक ब्लॉक बनाए जाते हैं तथा उसे मोम के ढांचे में रखा जाता है। जिसे काफी समय तक रखा जा सकता है। बाकी अंश को तीन महीने के भीतर नष्ट कर दिया जाता है।

रिपोर्ट तीन हफ्ते में तैयार करते हैं

कोरोना मरीज के मामले में उससे पहले ही नष्ट कर दिए जाने की संभावना है। कोरोना मरीजों के मामले में शोध की रिपोर्ट तीन हफ्ते के भीतर तैयार करनी पड़ती है। डॉ. बसु ने कहा कि वैसे भी मृत शरीर से संक्रमण फैलने की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। इस पर दुनियाभर में शोध चल रहा है। दिल्ली एम्स में भी मृत कोविड मरीज में कोरोना वायरस जीवित रहता है या नहीं, इस पर शोध चल रहा है। 

वायरस के बारे में ज्यादा नहीं जानते

डॉ बसु ने बताया कि हम आज तक कोरोना वायरस के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। हमें यह जानने की जरूरत है कि कोरोना वायरस मानव अंगों और मानव प्रणालियों को किस तरह प्रभावित करता है। पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी इस सवाल का बहुत हद तक जवाब दे सकती है। 

मेडिकल रिसर्च के लिए महिला ने दान किया शरीर

-कोलकाता की रहने वाली 93 साल की श्रमिक नेता ज्योत्सना बसु ने कोरोना वायरस के प्रभाव का पता लगाने के लिए अपना शरीर दान दिया है। कोविड रिसर्च के लिए अपना शरीर दान करने वाली ज्योत्सना बसु की पहली महिला हैं। उन्हें कोलकाता के बेलियाघाट इलाके में स्थित एक अस्पताल में 14 मई को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था,  जहां दो दिन बाद उनका निधन हो गया। गत सोमवार को उनकी ऑटोप्सी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की गई। बंगाल में अभी तक तीन कोरोना मरीजों ने शोध के लिए अपना शरीर दान दिया है।


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