Move to Jagran APP

हाईकोर्ट के आदेश की प्रति ले भटकने को मजबूर श्रमिक

- बीते पांच साल हाल आज भी बेहाल अदालत के निर्देश के बाद भी नहीं मिली नौकरी जागरण संवाददाता

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 05:48 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 06:39 AM (IST)
हाईकोर्ट के आदेश की प्रति ले भटकने को मजबूर श्रमिक
हाईकोर्ट के आदेश की प्रति ले भटकने को मजबूर श्रमिक

- बीते पांच साल, हाल आज भी बेहाल, अदालत के निर्देश के बाद भी नहीं मिली नौकरी

loksabha election banner

जागरण संवाददाता, कोलकाता : जूट मिलों में श्रमिकों का शोषण अमूमन सुर्खियों में रहता है और मिल मालिक मनमाने तरीके से घंटों घटाने के साथ ही विभिन्न तरीकों से उन्हें परेशान करते हैं। इतना ही नहीं जूट मिल मालिकों का मनोबल कितना बढ़ा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद हुगली जिले में स्थित एक जूट मिल श्रमिक को विगत पाच सालों से दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है। उम्र से अधेड़ बालग रंगा राव को साल 2011 में हुगली स्थित आरडीबी टेक्सटाइल लिमिटेड कंपनी ने नौकरी से निलंबित कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं 2015 में अदालत ने मिल प्रबंधन के इस फैसले को पूरी तरह से गैर कानूनी व असंवैधानिक करार देते हुए जमकर फटकार लगाई। साथ मिल प्रबंधन को बिना लेट लतीफी किए बालग रंगाराव को वापस काम पर लेने का निर्देश दिया। इसके अलावा न्यायमूर्ति ने साफ किया था कि 2011 से लेकर जब तक उन्हें काम पर नहीं लिया जाता है तब तक का उनका सारा भुगतान भी किया जाएगा, लेकिन हकीकत यह है कि अदालत के सख्त निर्देश के बावजूद मिल प्रबंधन ने उन्हें नौकरी पर नहीं रखा। रंगा राव ने बताया कि 20 मार्च, 2015 को हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि उन्हें काम पर रखना होगा। साथ ही मिल प्रबंधन को उन्हें आर्थिक भुगतान को भी कहा गया था, लेकिन विगत चार सालों से हाईकोर्ट के निर्देश प्रति को लेकर भटक रहा हूं, बावजूद इसके मुझे नौकरी पर नहीं रखा गया। उन्होंने बताया कि मिल में काम करने वाले श्रमिकों के ईएसआइ व भविष्य निधि को लेकर एक विवाद हुआ था और इस दौरान उन्होंने मिल की धाधली का जमकर विरोध किया था। उस दौरान सैकड़ों श्रमिकों ने उनका साथ भी दिया था, लेकिन श्रमिकों की आवाज को दबाने को 34 लोगों को काम से बैठा दिया गया। बाद में मिल प्रबंधन ने 30 लोगों को वापस काम पर ले लिया, लेकिन चार लोगों को नहीं लिया गया। उसमें राव भी थे। उन्हें घूस आदि देकर कंपनी ने मामला दबाने का भी प्रस्ताव दिया, लेकिन वे पीछे नहीं हटे और अपने अधिकारों के लिए हाईकोर्ट जा पहुंचे। 28 जुलाई, 2012 को मामले की पहली सुनवाई शुरू हुई। इस बीच अपनी बेटियों की शादी, बच्चों की पढ़ाई आदि को लेकर उन्हें खासा परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि उक्त मामले में 30 मार्च, 2015 को अदालत ने सख्त निर्देश दिया। इसकी प्रति हुगली जिले के चंदननगर स्थित लेबर कमिश्नर को भी भेजी गई। एक सप्ताह के भीतर आदेश का क्रियान्वयन करने को कहा गया, लेकिन मिल प्रबंधन की मनमानी ऐसी थी कि उन्हें काम पर वापस नहीं लिया गया। इस पर प्रतिक्रिया को मिल प्रबंधन से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी कोई भी मीडिया से मुखातिब होने को तैयार न हुआ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.